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बैंकों के बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने ऐक्सिस बैंक बोर्ड से शिखा शर्मा को चौथा टर्म देने पर दोबारा विचार करने को कहा। उसके बाद शिखा ने खुद ही अपने कार्यकाल में कटौती का ‘चौंकाने वाला आग्रह’ बैंक के बोर्ड से किया है। अब वह इस साल के आखिर में ही पद छोड़ देंगी। आइए समझते हैं कि आखिर रिजर्व बैंक ने इशारों-इशारों में शिखा शर्मा को चौथा टर्म देने से मना क्यों किया!RBI शिखा शर्मा से इसलिए भी नाराज है क्योंकि उसे एनपीए के आकलन में बैंक की ओर से गड़बड़ियां मिलीं। इसके लिए आरबीआई ने ऐक्सिस बैंक पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगा दिया। आरबीआई ने स्पष्ट कहा कि ऐक्सिस बैंक ने इनकम रिकॉग्निशन ऐंड ऐसेट क्लासिफिकेशन (IRCA) नियमों का पालन नहीं किया। दरअसल, वित्त वर्ष 2015-16 में ऐक्सिस बैंक की रिपोर्टिंग और आरबीआई की ऑडिट में एनपीए की रकम में 9,480 अरब रुपये जबकि अगले वित्त वर्ष 2016-17 में 5,633 रुपये का अंतर पाया गया।
RBI की नाराजगी की एक बड़ी वजह यह भी है कि 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार की ओर से घोषित नोटबंदी के बाद बैंक कर्मचारियों ने पुराने नोट अवैध तरीके से बदले। इस मामले में ऐक्सिस बैंक की विभिन्न शाखाओं के कर्मचारी गिरफ्तार किए गए। इस मामले बैंक की इतनी किरकिरी हुई कि उसे फरेंसिक ऑडिट के लिए केपीएमजी को हायर करना पड़ा ताकि कानूनों का कठोरता से पालन करवाने के साथ-साथ सुरक्षा मानकों को ज्यादा मजबूत किया जा सके।
इतना ही नहीं, ऐक्सिस बैंक के कर्मचारियों ने जून 2017 तिमाही के रिजल्ट्स जारी होने से पहले ही वॉट्सऐप पर लीक कर दिए थे। इस मामले में बैंक सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की जांच के दायरे में है।पिछले तीन साल में ऐक्सिस बैंक का नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) 300% से ज्यादा बढ़ गया है। दिसंबर 2009 के आखिर में ऐक्सिस बैंक ने 1,173 करोड़ रुपये का एनपीए घोषित किया था जो दिसंबर 2017 के आखिर में बढ़कर 25,001 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस तरह, दिसंबर 2010 में 1.23% रहा ग्रॉस एनपीए अब बढ़कर 5.23% तक आ चुका है।ऐक्सिस बैंक की अकेली समस्या फंसा कर्ज नहीं है। दिसंबर 2016 में इसका शुद्ध मुनाफा दिसंबर 2015 में 2,175 करोड़ के मुकाबले घटकर महज 597 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि, दिसंबर 2017 में इसमे थोड़ी वृद्धि हुई और यह 726 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।