कानपुर में छात्र की हत्या कर शव फैक्ट्री चेंबर में फेंका

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छात्र के दोनों हाथ रस्सी से बंधे देख परिजनों व ग्रामीणों ने फैक्ट्री कर्मियों पर हत्या का आरोप लगा जमकर हंगामा किया।
कानपुर । सचेंडी में कक्षा सात के छात्र की हत्या कर शव प्लास्टिक फैक्ट्री के चेंबर में फेंक दिया गया। मृतक मंगलवार को फैक्ट्री में मां को टिफिन देने के बाद से लापता था। छात्र के दोनों हाथ रस्सी से बंधे देख परिजनों व ग्रामीणों ने फैक्ट्री कर्मियों पर हत्या का आरोप लगा जमकर हंगामा किया। फैक्ट्री में मशीनें, फर्नीचर व शीशे तोड़कर नारेबाजी की। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को शांत कराया। पुलिस उसके धोखे से चेंबर में गिरने से मौत होने की आशंका जता रही है।
भीमसेन गांव निवासी ठेला दुकानदार संतोष कुशवाहा की पत्नी सुमन इलाके की ही दोना-पत्तल बनाने वाली अग्रवाल थर्मो पैकिंग कंपनी में काम करती है। उनका चार बच्चों में दूसरे नंबर का पुत्र अंकुश उर्फ बउवा (13) मंगलवार सुबह 11 बजे मां सुमन को फैक्ट्री में टिफिन देने गया था, जहां से वापस घर नहीं लौटा। इस पर परिजनों ने अंकुश की तलाश शुरू कर दी। रात तक कोई सफलता नहीं मिलने पर परिजनों ने पुलिस चौकी में सूचना दी।
बुधवार सुबह फैक्ट्री पहुंचे लोगों ने फैक्ट्री के चेंबर में अंकुश का शव उतराता देखा तो उसकी मां सुमन को सूचना दी। अंकुश के हाथ रस्सी से बंधे होने पर परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए किसी फैक्ट्री कर्मी द्वारा हत्या का आरोप लगाया और कार्रवाई की मांग शुरू कर दी। कोई कार्रवाई न होते देख लोग उग्र हो गए। इसके बाद परिजनों संग फैक्ट्री कर्मियों और ग्रामीणों ने फैक्ट्री में तोड़फोड़ शुरू कर दी। भीड़ ने कंप्यूटर व मशीनों के साथ ही फर्नीचर तोड़ डाले। इसके बाद पथराव कर खिड़की के शीशे तोड़ दिए।
परिजनों ने आरोप लगाया कि किसी फैक्ट्रीकर्मी ने अंकुश की गला दबाकर हत्या करने के बाद शव को चेंबर में डाल दिया। मौके पर पहुंचे एसडीएम सदर संजय कुमार व सीओ सदर ब्रह्म सिंह ने लोगों को उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर शांत कराया। सीओ ने बताया कि हत्या की आशंका से इनकार करते हुए बताया कि बच्चा धोखे से चेंबर में गिर गया होगा। बचने के प्रयास में उसमें पड़ी रस्सी उसके हाथ में फंस गई होगी, क्योंकि रस्सी बंधी नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत का सही कारण सामने आएगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

क्या पता था, अब नहीं लौटेगा अंकुश: ‘बेटे के हाथ से लाया खाना खाया और वह हंसी-खुशी गया था। पता नहीं था कि जिगर का टुकड़ा अब कभी लौटकर नहीं आएगा वरना उसे अपने आंचल में छिपा लेती।’ रोते हुए ऐसा दर्द बयां किया अंकुश की मां सुमन ने। वह बार-बार बेटे के शव से लिपटकर रोती रही और उस पल को कोसती रही, जब उसने बेटे को फैक्ट्री से घर जाने दिया। लोग उन्हें समझाने में जुटे रहे। अंकुश की बहन कोमल व प्रीति का भी रोकर बुरा हाल था, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि भाई अब बहुत दूर जा चुका है।