‘युद्ध के दौरान, आप अपने सैनिकों को दुखी नहीं रख सकते। थोड़ा आगे बढ़ते हुए उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए कुछ अतिरिक्त पैसे दें।’ यह बात सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टरों को सैलरी न मिलने के मुद्दे पर कही।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर कोर्ट को शामिल नहीं होना चाहिए और सरकार को यह मुद्दा सुलझाना चाहिए। कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे कुछ डॉक्टरों को सैलरी नहीं दी गई है। वहीं, कुछ की सैलरी कुछ कम करके दी गई।
जस्टिस अशोक भूषण, एसके कौल और एमआर शाह की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ‘युद्ध के समय, आप अपने सैनिकों को नाखुश नहीं करते। कोरोना के खिलाफ लड़े जा रहे इस युद्ध में असंतुष्ट सैनिकों (डॉक्टरों) को देश बर्दाश्त नहीं कर सकता है।’
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर बेहतर सुझाव सामने आते हैं, तो उन्हें समायोजित किया जा सकता है। बेंच ने कहा कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई डॉक्टरों को भुगतान नहीं किया जा रहा है।
बेंच ने कहा, ‘हमने रिपोर्ट देखी कि डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। दिल्ली में, कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीनों से भुगतान नहीं किया गया है। ये चिंताएं हैं जिनका ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके लिए अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।’ कोर्ट की बेंच ने आगे कहा, ‘आपको (केंद्र) और अधिक करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी चिंताओं का समाधान किया जाए।’