फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर रिजर्व बैंक के गर्वनर को दो निदेशकों ने घेरा, पूछे तीखे सवाल

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास बैंकों में हो रहे घोटालों को लेकर तीखे सवालों के बीच घिर गए. सूत्रों के मुताबिक पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक की बोर्ड मीटिंग में इसके दो गैर सरकारी (बाहरी) निदेशकों ने इस बात को लेकर कड़े सवाल किए कि आखिर किस तरह से 2018 से ही एक-एक कर घोटाले सामने आते रहे और रिजर्व बैंक को इसका पता ही नहीं चला.

दोनों निदेशकों ने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की जालसाजी, IL&FS घोटाले और पंजाब एवं महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक केस का हवाला दिया. इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. अखबार से एक सूत्र ने कहा, ‘ ये सभी मामले एक-दूसरे से अलग हैं और इनमें कोई संबंध नहीं है, लेकिन कुछ सदस्य इसे लेकर बहुत मुखर थे.’

क्या होते हैं बाहरी निदेशक

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की व्यवस्था के मुताबिक एक पूर्णकालिक गवर्नर और अधिकतम चार उप गवर्नर होते हैं. इसके अलावा, सरकार द्वारा नामित एक दर्जन से ज्यादा गैर सरकारी निदेशक होते हैं, जिन्हें बाहरी निदेशक भी कहते हैं.

गर्वनर ने क्या दिया जवाब

गर्वनर ने समझाया कि किस तरह से रिजर्व बैंक की जानकारी साझा करने की प्रणाली और आंकड़ों को जुटाने की प्रणाली काम करती है. कई बार आंकड़े अपर्याप्त या हेराफेरी किए हुए होते हैं.’ कार्यवाही में शामिल रहे सूत्र ने कहा, ‘हो सकता है कि सवाल पूरी तरह से जायज न हों, लेकिन यह तो साफ था कि इससे रिजर्व बैंक के अधिकारी असहज महसूस कर रहे थे.’

रिजर्व बैंक बोर्ड की मीटिंग में यस बैंक के मसले को भी उठाया गया. बाहरी निदेशकों ने यह मसले ऐसे समय में उठाए हैं, जब रिजर्व बैंक अपनी जांच और निगरानी प्रणाली को लेकर काफी आलोचना का सामना कर रहा है. गौरतलब है कि पीएनबी और पीएमसी बैंक के मामले में कई अधिकारियों ने सिस्टम की खामी का फायदा उठाकर रिजर्व बैंक को अंधेरे में रखा.

पीएनबी के मामले में नीरव मोदी को बैंक द्वारा दिया गया कर्ज खुद बैंक और रिजर्व बैंक की निगरानी प्रणाली से इसलिए बचा रहा, क्योंकि बैंक के स्विफ्ट सिस्टम को बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) से नहीं जोड़ा गया था. बैंक के कई अधिकारियों ने SWIFT नेटवर्क में छेड़छाड़ कर अवैध तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स जारी किए, जिनके द्वारा विदेश में नीरव-मेहुल की कंपनियों को कर्ज मिला.

इसी तरह, एक साल पहले IL&FS में आए संकट के बाद ऑडिटर्स की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है. पीएमसी बैंक ने 21,000 फर्जी खातों के माध्यम से अपने बैड लोन छिपाए थे, इनमें से कई खाते मृत व्यक्तियों के नाम से थे. बैंक पर आरोप है कि उसने ऐसे फर्जी तरीके से एचडीआईएल को करीब 6,500 करोड़ रुपये का लोन दे रखा है.