रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी को तैयार हो गया म्यांमार, रखी यह शर्त

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नेपीथा: रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से भागकर पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं. सबसे ज्यादा शरणार्थी बांग्लादेश पहुंचे हैं. भारत में भी उनमें से हजारों रोहिंग्या मुसलमान पहुंचे हैं. वहीं भारत में इन्हें शरण देने या न देने को लेकर राजनीति भी हो रही है और मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय बिरादरी भी म्यांमार पर इस बात का दबाव बना रही है  कि म्यांमार अपने देश के नागरिकों को वापस बुलाए. म्यांमार के रखाइन राज्य से पड़ोसी बांग्लादेश भागेशरणार्थियों की वापसी के लिए म्यांमार शीघ्र ही एक राष्ट्रीय सत्यापन प्रक्रिया शुरू करेगा. म्यांमार के एक मंत्री ने गुरुवार को यह घोषणा की. म्यांमार के समाज कल्याण, राहत व पुनर्वास विभाग के मंत्री यू विन म्यात अए के अनुसार, इस कदम से पहले स्टेट काउंसलर के कार्यालय के मंत्री यू क्यू टिंट स्वे इस प्रक्रिया पर अधिकारियों के साथ वार्ता के लिए बांग्लादेश जाएंगे.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार और बांग्लादेश द्वारा 1993 में बनीं सहमति के सिद्धांतों पर यह सत्यापन प्रक्रिया तौंगप्यो लातवे और नगुआ गांव में की जाएगी. जो लोग सड़क मार्ग से लौटना चाहते हैं वह तौंगप्यो लातवे और जो समुद्र मार्ग से लौटना चाहते हैं वह नगुआ गांव में अपना सत्यापन कराएंगे.

वर्तमान योजना के तहत सत्यापित शरणार्थियों को दार्गयिजार गांव में बसाया जाएगा. राज्य के कुछ मुस्लिम समुदायों के नेताओं ने कहा है कि उन्होंने अभी इस प्रक्रिया में शामिल होने का निर्णय नहीं लिया है.