नई दिल्ली: शम्मी कपूर राज कपूर के छोटे और शशि कपूर के बड़े भाई थे. उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने उन्हें नाम दिया शमशेर राज कपूर. फिल्मों में आने पर वे अपने निक नेम शम्मी से ही फेमस हो गए. उन्होंने फिल्मों में बतौर जूनियर आर्टिस्ट 1948 में कदम रखा और इसके लिए उन्हें महीने के 50 रु. मिलते थे. 1953 में जीवन ज्योति फिल्म के साथ उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया. लेकिन सफलता और पहचान 1957 की फिल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ से मिली.
उन्होंने गंभीर एक्टर की छवि से शुरुआत की लेकिन वह उनके पक्ष में नहीं रही. उन्होंने इससे खुद को आजाद करने का फैसला लिया. उन्होंने खुद को एक रोमांटिक और मस्ती भरे एक्टर के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाए. उनके इस कदम में नासिर हुसैन ने बहुत मदद की और उन्हें उसी तरह की फिल्में दीं. उन्होंने नासिर हुसैन की ‘दिल दे के देखो’ में भी काम किया है. तीसरी मंजिल के प्रोड्यूसर भी नासिर हुसैन ही थे. शम्मी ने सभी परिपाटियों को ध्वस्त करते हुए रेबल स्टार के तौर पर अपनी पहचान बनाई. अंदाज (1970) शम्मी कपूर की बतौर लीड एक्टर आखिरी फिल्म थी. इसके बाद वे कैरेक्टर रोल्स में आए. आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें-
भारत के एलविसः अमेरिका के फेमस सिंगर एलविस प्रेसले से उनका स्टाइल काफी मिलने की वजह से उन्हें भारत का एलविस प्रेसले भी कहा जाने लगा.
बनना चाहते थे इंजीनियरः शम्मी कपूर थिएटर की दुनिया में कदम रखने से पहले एरोनॉटिकल इंजीनियर बनना चाहते थे लेकिन नियति उन्हें फिल्मों में ले आई.
गीता का जाना: शम्मी 1955 में फिल्म की शूटिंग के दौरान गीता बाली से मिले थे, और दोनों को इश्क हो गया. फिर दोनों विवाह बंधन में बंध गए. 1965 में स्मॉलपॉक्स से गीता का निधन हो गया.
मुमताज को किया था प्रपोज!: मुमताज अपने एक इंटरव्यू में बता चुकी हैं कि ब्रह्मचारी फिल्म की शूटिंग के दौरान शम्मी कपूर ने उन्हें प्रपोज किया था. उस समय गीता बाली का देहांत हो चुका था. मुमताज ने इसलिए न कह दिया था क्योंकि वे अपने करियर को नहीं छोड़ना चाहती थीं.
बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर: शम्मी कपूर को 1968 की फिल्म ब्रह्मचारी के लिए बेस्ट एक्टर के फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया था.
कभी प्रेमी तो कभी पिताः जंगली (1961) और ब्लफ मास्टर (1963) में सायरा बानो के हीरो के तौर पर नजर आए थे लेकिन 1975 की जमीर में वे सायरा के पिता के किरदार में दिखे थे.