‘अमृतगंगा’ से नहीं मिल रहा ‘अमृत’, दूषित पानी पीने को मजबूर ग्रामीण

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गोपेश्वर, [हरीश बिष्ट]: ग्यारह वर्ष बीतने के बाद भी शहर के लोगों को अमृतगंगा-गोपेश्वर पेयजल योजना से साफ पानी नहीं मिल रहा है। कारण यह है कि यहां फिल्टर टैंक का निर्माण नहीं हो पाया है। इस वर्ष फिल्टर टैंक के लिए शासन से धनराशि आवंटित की गई है। परंतु अभी तक जल निगम ने फिल्टर टैंक का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। पेयजल योजना पर फिल्टर टैंक न लगने से नगर में लगातार दूषित पानी आ रहा है। इससे गंभीर बीमारियों की आशंका भी बनी हुई है।

वर्ष 2006 में अमृतगंगा से गोपेश्वर तक 13 किमी लंबी पेयजल लाइन को स्वीकृति मिली थी। इसके लिए 756.86 लाख रुपये भी स्वीकृत हुए थे। यह योजना निर्माण के दौरान से ही विवादों में रही। दरअसल जल निगम ने जिस ठेकेदार को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी वह पेयजल योजना के लिए जो पाइप लाया वह मानकों पर ही खरे नहीं पाए गए। कई सालों तक अमृतगंगा पेयजल योजना के पाइप गैस गोदाम के पास ही पड़े रहे। जनांदोलन हुए तो उसके बाद ठेकेदार ने पेयजल योजना पर निर्माण कार्य चालू किया गया। वर्ष 2016 में गोपेश्वर नगर तक इस पेयजल योजना का निर्माण पूरा किया गया। मगर पेयजल योजना निर्माण के बाद इस योजना पर जो पाइप लगाए गए उनकी गुणवत्ता फिर सवालों के घेरे में आ गई। पानी का अधिक बहाव होने के चलते चार बार इस पेयजल योजना के पाइप फट गए।

हालांकि उनकी वेल्डिंग कर फिर से पेयजल सप्लाई सुचारु किया गया। खास बात यह है कि पेयजल योजना का निर्माण गोपेश्वर तक तो कर दिया गया। परंतु मुख्य स्रोत पर अभी तक फिल्टर टैंक ही नहीं बन पाया है। इस पेयजल योजना का जो पानी आ रहा है उसमें गंदगी ही गंदगी है। लोग भी में गंदा पानी पीने को ही मजबूर हैं।

नहीं मिली मंजूरी 

अमृतगंगा गोपेश्वर पेयजल योजना पर अभी वितरण लाइन का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इस पेयजल योजना से नगर में 12 किमी वितरण लाइन का निर्माण भी होना है। इसके लिए जल निगम द्वारा 911 लाख रुपए का आंगणन शासन को भेजा गया था। परंतु एप्रूवल न मिलने के कारण वितरण लाइन का कार्य चालू नहीं हो पा रहा है। फिलहाल पुरानी पेयजल योजना से ही पानी की आपूर्ति की जा रही है।

पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता विनय कुमार जैन का कहना है कि अमृतगंगा पेयजल योजना पर फिल्टर टैंक के लिए 22 लाख की धनराशि स्वीकृत हुई है। रबनिंग फिल्टर और स्टैंड बाइ यूनिट निर्माण के लिए टेंडर कर दिए गए हैं। अनुबंध की कार्यवाही की जा रही है। जल्द ही फिल्टर टैंक का निर्माण किया जाएगा। रबनिंग फिल्टर बनने से काफी हद तक गंदे पानी की समस्या से उपभोक्ताओं को निजात मिल जाएगी।