टी एम जियाउल हक़
दिल्ली: बाबरी मस्जिद-राममंदिर केस की सुनवाई खत्म होने की ओर है, लेकिन इस केस में बाबरी मस्जिद के पक्ष में खड़े सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अचानक से मध्यस्थता पैनल में शामिल वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू के जरिये अचानक से हलफनामा देकर केस से अपना नाम वापस लेने की बात कही. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इन हलफनामे पर कोई संज्ञान नहीं लिया है. इस केस में बाबरी मस्जिद की तरफ से 6 पक्षकार थे, जिसमें से सुन्नी वक्फ बोर्ड भी एक है.
इसके बाद सिंह ने एक नक्शा रखा. आर के धवन ने इसका भी विरोध करते हुए हिंदू महासभा के वकील की तरफ से दी गई नक्शे की कॉपी को फाड़ दिया. किशोर कुणाल की किताब ‘अयोध्या रिविज़िटेड’ के नक्शे को दूसरे दस्तावेजों से मिला कर हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह अपनी बात रखना चाहते थे. लेकिन धवन ने किताब को रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बताया और वह भड़क उठे.
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के बाबरी मस्जिद – राम मंदिर केस पर आज 40वें दिन सुनवाई हो रही है. शीर्ष अदालत में आज इस मसले पर सुनवाई का आखिरी दिन है. फैसला अगले महीने की 15 तारीख तक आने की संभावना है. इस बीच सूत्रों ने बताया है कि मध्यस्थता पैनल ने एक सेटलमेंट रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की है. इसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन के बदले कहीं और जगह दिए जाने पर सहमत हुआ है.
इसके अलावा सभी धार्मिक स्थलों की 1947 वाली स्थिति बरकरार रखने वाले कानून पर अमल की भी बात कही है. यह कानून 1991 में नरसिंह राव सरकार ने पास किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, सेटलमेंट प्रक्रिया में कई अहम हिंदू और मुस्लिम पक्षकार शामिल नहीं हुए है. अभी तक कोर्ट ने रिपोर्ट की चर्चा नहीं की है. सुन्नी वक्फ बोर्ड में अपरोक्ष रूप से सरकार के करीबी रहते हैं.
वहीं युवा मुस्लिम चेहरा वा मुस्लिम युवा मोर्चा के अध्यक्ष इंजीनियर उबैदल्लह का कहना है कि बाबरी मस्जिद केस में 6 पक्षकार हैं. कानूनी रूप से हर एक पक्षकार का अपना महत्व होता है, लेकिन सभी पक्षकार बराबर हैं. अब अगर 6 में से कोई एक-दो या फिर 5 पक्षकार भी अपना दावा छोड़ देते हैं तो इससे बाबरी मस्जिद केस और उसके आने वाले फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा. केस पर असर तभी पड़ेगा जब सभी पक्षकार पीछे हट जाते हैं.
वहीं ये खबर लिखे जाने तक आप को बता दूँ कि अयोध्या केस में बहस पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है।