आइए हम बताते हैं आपको यूपी का ‘बाबू’ कैसे बना ‘बाबूमोशाय’

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ई दिल्ली: नवाजुद्दीन सिद्दीकी की ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ फिल्म देखते समय सबसे पहला ख्याल जेहन में यह आया कि फिल्म तो उत्तर प्रदेश में रची-बसी है तो फिर बंगाली शब्द बाबूमोशाय का इस्तेमाल क्यों किया गया? कई लोगों ने इस पर सवाल भी खड़े किए. फिल्म की टीम ने बताया है कि बाबूमोशाय शब्द ‘आनंद’ फिल्म से प्रेरित है. ‘आनंद’ फिल्म में राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन को प्यार से ‘बाबूमोशाय’ के नाम से ही बुलाते थे. आनंद 1971 की सुपरहिट फिल्म थी और बॉलीवुड की क्लासिक्स में गिनी जाती है.

‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने शूटर बाबू का किरदार निभाया है. इस बारे में फिल्म के डायरेक्टर कुषाण नंदी कहते हैं, “आनंद फिल्म ने हमें हमारा टाइटल दिया. हमने इसके सभी गानों का इस्तेमाल फिल्म के विभिन्न हिस्सों में किया है. महान सिनेमा का आभार जताने का हमारा यही तरीका था.” हालांकि फिल्म में नवाज कहते हैं कि उन्होंने बंदूक चलानी एक बंगाली से सीखी थी. वह उन्हें बाबूमोशाय के तौर पर याद है. इस तरह वह बाबूमोशाय बंदूकबाज हो गया.

दिलचस्प यह कि बाबूमोशाय इस बार भी छाया. पांच करोड़ रु. के बजट में बनी इस फिल्म ने पहले तीन दिन में 7.53 करोड़ रु. की कमाई कर ली है. फिल्म की कहानी और नवाज का स्टाइल काफी पसंद भी किया जा रहा है. बॉक्स ऑफिस पर बाबूमोशाय…का मुकाबला सिद्धार्थ मल्होत्रा की ‘ए जेंटलमैन’ के साथ था.