आजम खां से मिलने सीतापुर जेल पहुंचे अखिलेश यादव

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सांसद आजम खां से मिलने अखिलेश यादव सीतापुर कारागार पहुंच गए हैं। दोपहर ठीक एक बचकर 55 मिनट पर यह जेल के भीतर दाखिल हुए। पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव के साथ पूर्व मंत्री रामपाल राजवंशी, पूर्व विधायक राधेश्याम जयसवाल, पूर्व विधायक अनूप गुप्ता सहित कई  अन्य भी जेल के भीतर गए हैं। कारागर प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद ही सभी का मिलना हुआ है। तेल के बाहर पुलिस और पीएसी तैनात है।

आपको बता दें कि रामपुर सांसद आजम खां को पत्नी और पुत्र के साथ रामपुर जेल से प्रशासनिक व्यवस्था के आधार पर सीतापुर जेल स्थानांतरित किया गया। गुरुवार सुबह रामपुर पुलिस ने तीनों को सीतापुर जेल में दाखिल कराया हैं। सांसद आजम और इनके पुत्र विधायक अब्दुल्ला आजम खान जेल की विशेष सुरक्षा बैरिक में रखे गए हैं। पत्नी विधायक तंजीन फातिमा महिला वार्ड में हैं।

सुबह करीब सवा दस बजे रामपुर पुलिस कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच तीनों को सीतापुर जेल लेकर पहुंची। यहां पहले से कई थानों की पुलिस व पीएसी मौजूद थी। अफरा-तफरी के बीच सांसद आजम, इनकी पत्नी और पुत्र को सीतापुर कारागार में दाखिल कराया। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद रामपुर पुलिस वापस रवाना हो गई। सांसद और उनके परिवार से मिलने आए रामपुर के कई लोगों को पुलिस की सख्ती का सामना करना पड़ा। किसी को भी आजम खान से मिलने की अनुमति नहीं मिली।

कारागार अधीक्षक डीसी मिश्रा का कहना है कि सवा दस बजे सांसद आजम खान, इनकी पत्नी विधायक तंजीन फाातिमा और पुत्र अब्दुल्ला आजम खान को रामपुर पुलिस ने प्रशासनिक स्थानांतरण के आधार पर सीतापुर जेल में दाखिल कराया है। सांसद और उनके पुत्र को जेल के भीतर विशेष सुरक्षा बैरिक में रखा गया है। जबकि विधायक पत्नी तंजीन फातिमा महिला वार्ड में शिफ्ट हैं। बताया कि प्रोटोकाल के हर मानकों का अनुपालन कराया जा रहा है।

तीसरी बार जेल गए सपा सांसद आजम खां
सपा सांसद आजम खां तीसरी बार जेल गए हैं। वह छात्र जीवन में इमरजेंसी और सपा के हल्ला बोल आंदोलन में भी जेल गए थे, लेकिन इस बार जेल जाने का मामला पहले दोनों बार से अलग है। सांसद आजम खां ने छात्र जीवन से ही राजनीति शुरू कर दी थी। आजम खां ने अपनी उच्च शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय से पूरी की है। तब वर्ष 1977 में प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की थी। इसके खिलाफ देश के तमाम बड़े नेताओं ने आवाज उठाई थी। इमरजेंसी के खिलाफ बोलने वालों में आजम खां भी शामिल थे। तब वह एएमयू में छात्रसंघ के सचिव थे। वहां से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल भेज दिया गया था। आजम खां को बनारस की जेल में रखा गया था और करीब छह माह जेल में रहे थे।

वर्ष 1998 में सपा ने प्रदेश में हल्ला बोल आंदोलन किया था। प्रदेश भर में प्रदर्शन किए गए थे। सपाइयों ने गिरफ्तारी दी थी और जेलें भर दी थीं। रामपुर में भी बड़ा हल्ला बोल का आंदोलन किया गया था। पार्टी की विंग के हिसाब से गिरफ्तारी दी गई थी। तीन-तीन दिन बाद उन्हें रिहा किया गया था। आंदोलन के अरखिरी दिन आजम खां ने भी गिरफ्तारी दी थी और तीसरे दिन रिहा हुए थे।