चेन्नई: दक्षिण एशिया उपग्रह के सफल प्रक्षेपण से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब अपने सबसे बड़े रॉकेट 640 टन वजनी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च वाहन-मार्क 3 (जीएसएलवी मार्क 3) के प्रथम लॉन्च की तैयारी में व्यस्त है.
इस रॉकेट का उल्लेखनीय पहलू यह है कि इसका मुख्य और बड़ा क्रायोजेनिक इंजन चेन्नई में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है और यह पहली बार रॉकेट को शक्ति देगा.
बीते शुक्रवार को ही इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 के बारे में बताया था कि, ‘जीएसएलवी मार्क-3 हमारा अगला प्रक्षेपण होगा. हम तैयार हो रहे हैं. सारी प्रणाली श्रीहरिकोटा में हैं. फिलहाल एकीकरण चल रहा है’.
उन्होंने कहा, ‘अनेक स्तरों को जोड़ने और फिर उपग्रह को हीट शील्ड में लगाने की पूरी प्रक्रिया चल रही है. जून के पहले सप्ताह में हम इस प्रक्षेपण का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं’. जीएसएलवी मार्क-3 एक शक्तिशाली प्रक्षेपण अंतरिक्षयान होगा, जिसका निर्माण भारी संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए किया गया है.
किरण कुमार ने कहा कि 2.2 टन से अधिक क्षमता वाले संचार उपग्रहों का प्रक्षेपण विदेशी धरती से करना होता है. अब ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि चार टन तक के और इससे भी अधिक वजन वाले उपग्रहों का प्रक्षेपण भारत में हो.