अक्सर ऐसा होता है कि हम सुबह बिस्तर से उठते हैं और सबसे पहले अपने मोबाइल फोन पर नोटिफिकेशन चैक करते हैं कि हमारे आसपास क्या अच्छा या बुरा हो सकता है। इससे भी ज्यादा यह जानना चाहते हैँ कि हमने इंस्टाग्राम पर जो फोटो पोस्ट की है, उस पर कितने लाइक्स मिले…. एक रिसर्च के अनु्सार यह हेल्दी हेबिट नहीं है। यह एक एडिक्शन है-
1. बेड पर जाने से पहले
लेटनाईट कन्वर्सेशन का अपना चार्म होता है इससे इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन नींद पूरी नहीं होने से सुबह आप अपने को फ्रेश फील नहीं कर पाते। ऐक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि मोबाइल फोन कि स्क्रीन हार्मोन्स पर बुरा प्रभा्व डालती है।
2. जरूरी है कंट्रोल
अधिकतर साइकोलॉजिस्ट यह एड्वाइ्स देते हैं कि कुछ पर्टिक्युलर टाइम में फोन का यूज़ नहीं करे तो बेहतर होगा, हालांकि बदलते समय में ऐ्सा करना चल्लेंजिंग है। उ्स समय जब आपको कि्सी से अर्जेंट बात करती हो या कोई इम्पोर्टेंट मै्सेज भेजना हो, ऐ्स में मोबाइल से दूर रहना काफी मुश्किल हो जाता है।
3. सुबह उठने के बाद
सोने जाने से पहले और सुबह सोकर उठने के बाद भी यदि मोबाइल फोन चेक नहीं करते तो हमें कुछ अजीब-सा महसूस होने लगता है और फाइनली हम अपना फोन चेक कर ही लेते हैं। यह भी एक एडिक्शन है।
4. इवेंट एंजॉय करें
बहुत-से लोग अपने गुड मूमेंट्स और मेमोरीज कि ढेर सारी पिक्चर्स अपने मोबाइल पर क्लिक करते हैं। यह एक अच्छा तरीका है कि्सी भी मेमोरी को सेव करने का, लेकिन सोशल मीडिया में पोस्ट करने के लिए फोटो लेने में ही हम पूरा समय यु ही बर्बाद कर देते हैं और ऐसे में इवेंट को एंजॉय नहीं कर पाते।
5. फे्स–टू–फे्स कन्वर्सेशन
अपने फ्रेंड से चैटिंग करते समय चाहे वह लड़का हो या लड़की, अपने गहरे थॉट्स आपस में शेयर करते हैं। ऐसे में बहुत ज्यादा ध्यान देने कि जरूरत होती है कि आप क्या टेक्स्ट लिख रहे हैं। साइकोलॉजिस्ट कहते हैं कि चॅटींग करने से ज्यादा बेहतर है फे्स-टू-फे्स कन्वर्सेशन, वह भी मोबाइल या वीडियो कॉल पर नहीं।