देहरादून: उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की जिन्होंने अंकगणित की एक नई थ्योरी दी है वो भी एक स्कूल के निरीक्षण के दौरान. उनकी इस थ्योरी पर उत्तराखंड के मीडिया और सोशल मीडिया में बड़ी चर्चा है और मज़ाक भी उड़ रहा है. शिक्षा मंत्री के तौर पर उनकी काबिलियत पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. यही नहीं एक महिला शिक्षक के साथ उनके अभद्र व्यवहार पर भी नाराज़गी है. इस सिलसिले में उत्तराखंड के कई शहरों में आज विरोध प्रदर्शन भी हुए.
अंकगणित यानी एरिथमेटिक को सिर के बल खड़ा करने की कोशिश में लगे रहे उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे. पांडे इसी सोमवार को देहरादून के थाणों इलाके के महिला इंटर कॉलेज शिक्षा की क्वॉलिटी की जांच करने पहुंचे. कैमिस्ट्री की क्लास चल रही थी, शिक्षा मंत्री सीधे अंदर चले गए और फिर वहां पढ़ा रही शिक्षिका से ही बड़े रौबीले अंदाज़ में सवाल करने लगे वो भी गणित का.
शिक्षा मंत्री बोले – माइनस प्लस माइनस प्लस होता है, गणित की अपनी इस नई थ्योरी को सही साबित करने पर शिक्षा मंत्री अड़े रहे. शिक्षा मंत्री के तेवर देख पास खड़े अधिकारी की भी हिम्मत नहीं हुई कि सच बता सके. अब शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के मुताबिक (-1) + (-1) = शून्य होना चाहिए, जबकि गणित में ये होता -2 है.
मंत्रीजी जब क्लास से निकले तो भी अपनी बात सही ठहराने में लगे रहे. इस बीच सोशल मीडिया में बात पहुंची तो मंत्रीजी की ख़ूब खिल्ली उड़ी. बाद में मीडिया उनसे उनकी नई थ्योरी के बारे में पूछने गया तो ये थी मंत्रीजी की सफ़ाई.
गणित की ग़लत व्याख्या ही नहीं शिक्षा मंत्री महिला शिक्षक के साथ अपने अमर्यादित व्यवहार के कारण भी सबके निशाने पर आए. गुरुवार को उत्तराखंड के कई शहरों में शिक्षकों ने धरना प्रदर्शन किया और मंत्री के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी भी की. सरकारी शिक्षकों ने मंत्री के माफ़ी ना मांगने पर काली पट्टी लगाकर अपना विरोध दर्ज करने का भी फ़ैसला किया.
उत्तराखंड में कहने को ही सही जो विपक्ष बचा है उसे भी एक मौका मिल गया. वैसे शिक्षा मंत्री का तार्रुफ़ भी कर ही लीजिए. राजनीतिक इतिहास में कई आपराधिक मामले जुड़े हुए हैं. ऊधम सिंह नगर के बाजपुर और गदरपुर थाने में उनके ख़िलाफ़ हत्या की कोशिश, बलवा, मारपीट, रोड जाम, डकैती, सरकारी काम में बाधा, पीसीएस अफ़सर, रेलवे स्टेशन मास्टर और चीनी मिल अधिकारी को पीटने जैसे 29 मामलो में केस दर्ज हैं. फिर भी गणित पढ़ाने का हक़ उनसे कौन छीन सकता है.