नई दिल्ली: कच्चे तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में लगातार बढ़ रही हैं. कच्चे तेल की कीमत 68 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है जो 2015 के बाद कच्चे तेल की सबसे ज़्यादा कीमत है. इससे सरकार का वित्तीय गणित बिगड़ने की आशंका बढ़ रही है साथ ही उद्योग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.
सरकार ने चालू वित्तीय साल में कच्चे तेल की कीमत 55 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान लगाया था. हालांकि दिसंबर तक ये 54 डॉलर प्रति बैरल रहा है लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में अगर कीमतें कम नहीं हुईं तो प्रति बैरल सरकार का अनुमान 65 डॉलर तक जा सकता है.
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच आयातकों और बैंकों की ओर से निरंतर डॉलर मांग बढ़ने के चलते उसके मुकाबले रुपया कल 20 पैसे की गिरावट के साथ एक सप्ताह के ताजा निम्न स्तर 63.71 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.