कांग्रेस नेता कमलनाथ ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार से फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। हालांकि, तीन दिन बीत जाने के बाद भी बीजेपी ने अब तक मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है।
इसके पीछे की वजह बताते हुए बीजेपी नेता कहते हैं कि मुख्यमंत्री को लेकर अभी तक किसी के भी नाम पर एक राय नहीं बन सकी है। इसी वजह से बीजेपी की विधायक दल की बैठक भी नहीं हुई है।
बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक नाम राज्य में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव का भी नाम है। एक बार पार्टी मुख्यमंत्री का नाम तय कर लेगी, इसके बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी और उन्हें चुना जाएगा। भार्गव ने शनिवार को सभी विधायकों को एक पत्र लिखा था, जिसमें उनके विपक्ष में रहते हुए योगदान का जिक्र था।
भार्गव के पत्र को विधायकों से समर्थन मांगने के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, शुक्रवार तक राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मुख्यमंत्री पद के लिए नाम सबसे आगे चल रहा था। कमलनाथ सरकार के गिरने तक शिवराज सिंह चौहान पार्टी का लगातार नेतृत्व कर रहे थे। वह कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते रहे थे। शिवराज सिंह ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की थी।
इस मुद्दे पर एक बीजेपी नेता नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि शुरुआती समय में लग रहा था कि पार्टी ने गोपाल भार्गव नहीं, शिवराज सिंह चौहान को कोई भी कदम उठाने के लिए खुली छूट दी है। इसके अलावा यह भी तय था कि उन्हें ही विधायक दल का नया नेता चुना जाएगा और यह अब सिर्फ एक औपचारिकता भर है।
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, अब लग रहा है कि स्थिति में कुछ बदलाव आ गया है। पार्टी में उनके नाम पर एक राय को लेकर यह बदलाव बीते 48 घंटों में दिखा है।’ उन्होंने आगे कहा कि इसी वजह से अब नरेंद्र सिंह तोमर, थावरचंद गहलोत, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेताओं के नाम चलने लगे हैं।
बीजेपी नेता ने कहा, ‘केवल सीएम पद के चयन का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भी है कि होने वाले उप-चुनावों में पार्टी की जीत को कौन सुनिश्चित करेगा। ऐसे में हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे आश्चर्यचकित करने वाले फैसले मध्य प्रदेश में भी लिए जा सकते हैं।
एक अन्य बीजेपी नेता कहते हैं कि नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा जैसे नाम इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में ही उप-चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले 22 में से 15 विधायक इसी क्षेत्र से आते हैं और तोमर व मिश्रा भी यहीं के हैं।
उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं। इस वजह से भी कई नेता उनका मुख्यमंत्री पद के लिए विरोध कर रहे हैं। अगर उन्हें इस बार फिर से मुख्यमंत्री की कमान दे दी जाती है तो पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता जोकि इस पद पर नए नाम को देखना चाहते हैं, वह पार्टी से निराश हो सकते हैं। वहीं, मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पराशर ने चर्चा में चल रहे नामों को अफवाह बताई है।