नई दिल्ली: कांग्रेस 70 सालों के इतिहास में पहली बार ‘भारत बंद’ बुलाया है. कांग्रेस की अगुवाई में आज 20 विपक्षी दल भी उसके साथ थे. पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ इस बंद में कई बिहार, मध्य प्रदेश में हिंसा और तोड़फोड़ की भी खबरें आई हैं. वहीं बिहार के जहानाबाद में जाम में फंसने की वजह से एक बच्ची की भी मौत की खबर है. हालांकि एसडीओ का कहना है कि बच्ची की मौत जाम में फंसने की वजह से नहीं हुई. लेकिन परिजनों का दावा है कि अगर वाहन समय से मिल जाता तो उसको बचाया जा सकता था. फिलहाल भारत बंद कितना सफल रहा है इसको लेकर भी कई तरह के दावे हैं. कांग्रेस जहां इसको पूरी तरह से सफल बता रही है तो बीजेपी ने इसको विफल करार दिया है. इसी बीच नेताओं के बीच भी बयानबाजी जारी है. ट्विटर से लेकर मीडिया कैमरे को सामने नेता एक-दूसरे को ललकारने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
1-पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए सभी विपक्षी दलों का ‘देश की एकता, अखंडता और लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया.’ सिंह ने कहा, ” इतनी बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के नेताओं का शामिल होना बहुत महत्वपूर्ण कदम है. मोदी सरकार ऐसा बहुत कुछ कर चुकी है जो हद को पर कर चुका है. इस सरकार को बदलने का समय आने वाला है.
2-कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और राफेल मामले को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और कहा कि 2019 में विपक्षी दल मिलकर भाजपा को हराएंगे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने पिछले साढ़े चार वर्षों में भारत के लोगों को आपस में लड़ाने का काम किया है.’भारत बंद’ के तहत रामलीला मैदान के निकट आयोजित विरोध प्रदर्शन में गांधी ने कहा, ”2014 में नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले महिलाओं की सुरक्षा, किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. जनता ने भरोसा कर उनकी सरकार बनवायी. अब लोगों को साफ़ एहसास हो गया उन्होंने साढ़े चार साल में क्या किया.”
3-आरजेडी नेता तेजस्वी यादव
बिहार में विपक्षी के नेता, ‘श्री रविशंकर प्रसाद जी, बिहार में आपकी सरकार है, तनी डीएम-एसडीओ से बतिया लीजिये. वो कह रहे है उस बच्ची की मौत भारत बंद से नहीं दूसरे कारणों से हुई है. स्वास्थ्य मंत्री आपके हैं उनसे कारण पूछिए? श्री राहुल गांधी जी से सवाल पूछने से पहले अपने जीवन का कोई पहला चुनाव जीतकर आइये’. वहीं नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुये कहा, ‘बिहार के मुख्यमंत्री मुंह में दही जमाए क्यों बैठे हैं. पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों पर क्यों नहीं बोल रहे? क्या तब बोलेंगे जब सीटें कम मिलेंगी? जैसे नोटबंदी का डेढ़ साल बाद विरोध किया था. चाचा, समाजवादी हैं तो बोलिए अगर पूंजीवादी बन गए तो फिर दही क्या आइसक्रीम जमाइये. जनता सब देख लेगी’.
4-कांग्रेस नेता अशोक गहलोत
कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, ‘आज का भारत बंद पूरे देश में सफल रहा. कांग्रेस पार्टी ने कभी भी भारत बंद का आह्वान नहीं किया और न ही हमारा इसमें यकीन है, लेकिन जब से मोदी सरकार आई है, परिस्थियां ऐसी बनीं जिसकी वजह से यह हुआ. उन्होंने कहा कि लोगों ने स्वेच्छा से सरकार के खिलाफ भारत बंद में हिस्सा लिया और उसे सबक सिखाया. कम से कम अब सरकार को कीमतें कम करनी चाहिए. लेकिन वो बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं. इसलिए हम सब को लोकतंत्र की रक्षा करने की जरूरत है, यह खतरे में है.
5-कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला
सुरजेवाला ने कहा, ”जब हम सरकार में थे तो डीजल 55.59 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल की कीमत 63 रुपये प्रति लीटर थी और आज डीजल 73 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल करीब 80 रुपये प्रति लीटर है.”
6-केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद
पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के ‘भारत बंद’ को विफल करार देते हुए भाजपा ने सोमवार को कहा कि तेल की कीमतों में वृद्धि में सरकार का कोई हाथ नहीं है और इसका कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन का प्रभावित होना है. विपक्ष पर निशाना साधते हुए भाजपा ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन विरोध के नाम पर हिंसा अस्वीकार्य है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से बातचीत में सवाल किया, ‘‘क्या लोकतंत्र में राजनीति हिंसा के माध्यम से होगी’’
7-केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी
विपक्ष के ‘भारत बंद’ को अफवाह और भ्रम फैलाने का प्रयास करार देते हुए भाजपा ने आज कहा कि कांग्रेस के भारत बंद के आह्वान को जिस तरह से जनता ने नकार दिया है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि इनके महागठबंधन नामक गुब्बारे की हवा भी जल्द ही निकलने वाली है.
8-सीएम योगी आदित्यनाथ
सभगवान उन्हें (विपक्ष को) सद्बुद्धि दे कि वे सही मायने में विकास के मुद्दे पर सरकार का सहयोग करें. विपक्ष अगर नकारात्मक के बजाय सकारात्मक भूमिका में रहेगा तो उसकी प्रासंगिकता भी बनी रहेगी, नकारात्मकता उन्हें विपक्ष में बैठने लायक भी नहीं छोड़ेगी.