कुलभूषण जाधव मामले में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) कल ही अपना फैसला सुनाएगा. गुरुवार काे भारतीय समयानुसार दोपहर साढ़े तीन बजे आईसीजे इस बेहद अहम मसले पर अपना निर्णय सुनाएगा. इस मामले की सुनवाई सोमवार को हुई थी. भारत की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अपनी बात रखी.
भारत ने कोर्ट में सुनवाई में कहा कि भारत की अपील के सात दिन के अंदर ही इस मामले की सुनवाई करना ये बताता है कि इंटरनेशनल कोर्ट कितनी सीरियसली ले रहा है. साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को कोई मदद नहीं की, मैं भारत की ओर से यह बताना चाहता हूं कि भारत के 125 करोड़ लोग कुलभूषण जाधव की वापसी की राह देख रहे हैं.
हम चाहते हैं कि बिना किसी सुनवाई के पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाये. पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया, इसके तहत उन्होंने कुलभूषण जाधव को किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं दी. कुलभूषण जाधव को फांसी देना मानवाधिकार उल्लंघन है. भारत ने कहा कि ना तो कुलभूषण जाधव की मदद की, और ना ही कोई काउंसलर की मदद की.
भारत के कहने के बावजूद पाकिस्तान ने हमें कुलभूषण जाधव से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी, जाधव के माता-पिता पाकिस्तान आकर अपने बेटे से मिलना चाहते थे, उन्होंने इसको लेकर गुजारिश भी की थी लेकिन पाकिस्तान ने कोई जवाब नहीं दिया था. हमारी मांग है कि सिर्फ मिलिट्री कोर्ट की सुनवाई के आधार पर कुलभूषण जाधव को फांसी ना दी जाए.
कुलभूषण जाधव के माता-पिता उसकी मदद नहीं कर पा रहे हैं, फिर भी पाकिस्तान कोई सूचना नहीं दे रहा है. 27 अप्रैल को भारत ने दोबारा पाकिस्तान के सामने इस मुद्दे को उठाया था लेकिन पाकिस्तान ने हमारी बात नहीं सुनी थी. पाकिस्तान की मिलट्री कोर्ट पहले भी इस तरह के फैसले सुनाती रही है, और उन्हें बिना किसी चुनौती के सुने अमल में ला दिया जाता है.
भारतीय प्रतिनिध ने कहा कि वियना संधि के तहत कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को पकड़ा जाता है, तो दोनों देशों में उसे राजनियक नियमों के तहत मदद मिलेगी, इसका उल्लेख आर्टिकल 36 में भी हुआ है. भारत किसी अन्य देश की न्यायिक व्यवस्था में हस्तेक्षेप नहीं कर रहा है, हम सिर्फ अंतरराष्ट्रीय नियमों की बात कर रहे हैं. पाकिस्तान को नियमों का पालन करना ही होगा.
अनुच्छेद 36 के पहले पैराग्राफ में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि इस प्रकार के मामले में इंटरनेशनल कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. भारत और पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हैं और दोनों ही देश वियना संधि के नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है. संधि के अनुसार कहा गया है कि कोई भी मतभेद होने पर इंटरनेशनल कोर्ट इसे सुलझा सकती है.
भारत और पाकिस्तान के बीच में दो-पक्षीय संधि भी हो चुकी है, जिसमें वियना संधि के पालन की बात हो रही है. यह मामला दो पक्षीय नियमों के तहत नहीं आता, इसलिये इसे इंटरनेशल कोर्ट लाना पड़ा था. 2008 में हुए समझौते के तहत इस बात का समझौता हुआ था.