कोरोना लॉकडाउन पलायन: जैसलमेर से 1400 किलोमीटर पैदल चल कर 22 दिनों में पहुंचे सीतामढ़ी के 60 मजदूर

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लॉकडाउन के 21वें दिन भी यूपी-बिहार बार्डर पर प्रवासी मजदूरों के जत्थे का पहुंचना जारी है। हैरत की बात तो यह है कि इन राज्यों की सीमा सील किए जाने के बाद मजदूरों का पलायन लगातार जारी है, लेकिन इन मजदूरों की न तो स्क्रीनिंग हो रही है, न ही उसे क्वारंटाइन किया जा रहा है। सोमवार को भी सीतामढ़ी के रून्नी सैदपुर, सोनबरसा व भिट्ठामोड़ के साठ मजदूरों का जत्था बॉर्डर पर पहुंचा। सभी मजदूर राजस्थान के जैसलमेर से पैदल ही अपने घर जा रहे थे।

जैसलमेर से  22 दिनों में चौदह सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा कर गोपालगंज पहुंचे मजदूरों की दशा काफी खराब हो चुकी थी। सभी बीमार दिख रहे थे। वे कदम-दो कदम चलते हुए भी लड़खड़ा रहे थे। सुरेश व अफरोज ने बताया की जैसलमेर के देहाती क्षेत्र में पत्थर के खदान में काम कर रहे थे। देश में कोरोना वायरस से बचने को लेकर लॉक डाउन लागू होते ही खादान के मालिक ने काम बंद कर दिया। काम करने वाले मजदूरों को घर चले जाने को कहा गया। उन लोगों ने किराए पर वाहन की तलाश की। लेकिन वाहन से पहुंचाने को कोई तैयार नहीं हुआ। इसके बाद सभी वहां से पैदल ही घर के लिए रवाना हुए। इसके बाद राजस्थान, दिल्ली व यूपी के बार्डर पार करते हुए यहां तक पहुंचे हैं। कहीं भी उनलोगों की जांच नहीं हुई । किसी ने कहीं रोका नहीं। रास्ते में कुछ जगहों पर सामाजिक संगठन भोजन करा रहे थे। प्रशासन के भय से वे सभी  कुछ दूरी बनाकर चलते रहे।

नहीं हुई स्क्रीनिंग
मजदूरों ने बताया कि देश के तीन राज्यों की सीमा पार करते हुए बिहार भी पहुंच गए। कहीं भी स्वास्थ्य की जांच नहीं की गई। वे लोग खुद कोरोना से संक्रमित होने की आशंका से हलकान हैं।

बल्थरी में भी नहीं हो रही जांच
मजदूरों की भारी संख्या में हो रहे पलायन के दौरान यूपी बिहार की सीमा पर बसों का परिचालन किया गया था। उस समय दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग जांच की व्यवस्था बलथरी चेकपोस्ट पर की गई थी। व्यवस्था समाप्त होने के साथ ही जांच प्रक्रिया भी समाप्त हो गई। आने वाले मजदूरों को पंजीकृत भी किया जा रहा था।