उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बिना मास्क के सड़कों व सार्वजनिक स्थलों पर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है । चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने इस बारे में आदेश जारी करते हुए कहा है कि 3 लेयर वाला मास्क पहनना जरूरी है । इस मॉस्क को धो करके फिर से पहना जा सकता है । इसके साथ ही धुला हुआ अंगोछा भी प्रयोग में लाया जा सकता है । अमित मोहन ने बताया कि यदि कोई बिना मास्क के पाया गया तो उसके खिलाफ महामारी एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है महामारी एक्ट :
महामारी रोग अधिनियम, 1897 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को महामारी की रोकथाम के लिए विशेष उपाय करने की शक्ति देता है। कानून के मुताबिक, सरकार रोग से बचाव के लिए जरूरी नियमावली बना सकती है, यात्रा पर रोक लगा सकती है, लोगों को जांच, उपचार और प्रवास के लिए बाध्य कर सकती है। इन नियमों और आदेशों का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ जुर्माना या आईपीसी, 1860 की धारा 188 के तहत यह दंडनीय अपराध माना जाएगा। इस कार्रवाई के खिलाफ वाद दाखिल नहीं हो सकता।
सजा का प्रावधान
महामारी एक्ट में नियमों और आदेशों के उल्लंघन पर एक से छह महीने तक की सजा का प्रावधान है। साथ ही 200 से 1000 रुपये तक जुर्माना भी लग सकता है। कोर्ट चाहे तो सजा और जुर्माना दोनों लगा सकती है।
आईपीसी की धारा 270 :
किसी जानलेवा बीमारी, महामारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम, जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। आरोपी ने अगर जानबूझकर महामारी को फैलाने के लिए कदम उठाया हो। इसमें छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
इन अपराधों में लगती है धारा 269 :
किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैर जिम्मेदाराना काम। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
अंग्रेजों ने बनाया था कानून :
1897 में देश प्लेग की महामारी से जूझ रहा था। बंबई (तत्कालीन नाम) से इस रोग की शुरुआत हुई थी। इसने इतना भयानक रूप अख्तियार कर लिया था कि हर गांव-हर घर में मौतें हो रही थीं। प्लेग की सूचना यूरोप पहुंची तो भारत से दूसरे देशों ने व्यापार बंद कर दिया। आखिरकार ब्रिटिश हुकूमत ने 4 फरवरी, 1897 को महामारी एक्ट लागू किया। इसके तहत, अंग्रेजी सरकार के अधिकारियों को विशेष अधिकार मिल गए। इसके तहत वे किसी की भी जांच कर सकते थे और उन्हें रोक सकते थे।
प्रदेश में अब तक 348 केस, 193 तबलीगी जमात से सम्बंधित
प्रदेश में अब तक कोरोना के 348 केस मिले हैं । इनमें 193 तबलीगी जमात से सम्बंधित हैं। हालांकि, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि प्रदेश में अब तक 343 केस ही सामने आए हैं। जिसके कारण 37 जिले प्रभावित हैं। 343 में से 26 मरीजों का उपचार कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि पेशेंट पूलिंग का शासनादेश जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कई जिलों में एक से दो ही कोरोना पॉजिटिव पेशेंट का इलाज किया जा रहा है। ऐसे में यह देखने में आया है कि एक- दो मरीजों के लिए पूरा मेडिकल सिस्टम प्रभावित होता है।
इसी कारण मंडल कमिश्नर को यह आदेश दिया गया है कि जिन जिलों में एक से दो कोरोना पॉजिटीव पेशेंट का इलाज हो रहा हो तो उन्हें किसी एक ही बेहतर संसाधन वाले अस्पताल में शिफ्ट करा दिया जाए। जिससे मेडिकल सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव ना पड़े। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि अब तक सामने आए कोरोना पॉजिटीव केसों में 0 से 20 वर्ष वर्ग के 16 प्रतिशत, 21 से 40 वर्ष उम्र वर्ग के 44 प्रतिशत, 41 से 60 वर्ष उम्र वर्ग के 27 प्रतिशत और 60 से अधिक उम्र के 13 प्रतिशत लोग शामिल हैं।
लाॅक किए गए इलाकों में सबसे ज्यादा आगरा के :
पूरी तरह लीक किए गए इलाकों में सबसे ज्यादा आगरा के 22 मुहल्ले हैं। इसके अलावा लखनऊ के 11, गाजियाबाद 13, नोएडा 12, कानपुर नगर 12, वाराणसी चार, शामली तीन, मेरठ सात, बरेली एक, बुलंदशहर तीन, बस्ती के तीन, फिरोजाबाद तीन, सहारनपुर चार, महाराजगंज चार व सीतापुर के एक क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। एनसीआर में एक -दो स्थानों से सूचना मिली है कि ये ठीक नहीं हैं।
सील किए गए इलाकों की ड्रोन से होगी निगरानी : डीजीपी
प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि जिन 15 जिलों में हॉटस्पॉट को सील किया जा रहा है, वहां किसी प्रकार की आवाजाही नहीं होगी। इन इलाकों में सप्लाई की व्यवस्था सिर्फ होम डिलीवरी के जरिए ही होगी। फल, सब्जी, दवा व राशन इत्यादि की व्यवस्था होम डिलीवरी के माध्यम से हर घर तक पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हर एरिया व लोगों को चिह्नित कर क्वारंटीन व सैनेटाइज किया जा रहा है। इन इलाकों में ड्रोन की मदद से निगरानी की जाएगी।