पटना जिले में मार्च से अप्रैल के बीच शहरी क्षेत्र में कोरोना का संक्रमण अधिक था, लेकिन मई में इसका प्रभाव उल्टा होने लगा है। शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में अब इसका प्रकोप अधिक है।
पिछले 10 दिनों में यह बीमारी काफी तेजी से फैली है। कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे अधिक प्रभाव बाढ़, बेलछी, अथमलगोला और पालीगंज प्रखंड में सबसे अधिक है। इसका मुख्य कारण है इन प्रखंडों में गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक से अधिक मजदूर आए हैं। इन सभी राज्य में कोरोना वायरस का संक्रमण अधिक है। अब तक प्रवासी मजदूरों में से 1010 में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की गई है, जिसमें 61 में बीमारी की पुष्टि हुई है। रेड जोन से आने वाले 402 मरीजों की जांच कराई गई थी, जिसमें 52 में बीमारी की पुष्टि हुई है। अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस का फैलाव अधिक होने का खतरा है। इसलिए रोकथाम के लिए ठोस उपाय किए जा रहे हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि अब तक एक लाख 22 हजार 347 परिवार का सर्वेक्षण किया गया है लेकिन किसी में बीमारी के लक्षण नहीं पाये गए। अब जो भी बीमारी मिल रही है वह बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों में ही अधिक हो रही है। इसलिए क्वारंटाइन सेंटर में आने वाले लोगों का सही तरीके से स्क्र्रींनग की जा रही है। बिहटा व मनेर प्रखंड में संक्रमित नहीं मिला है।
अलग-अलग राज्यों से 14 हजार मजदूर पहुंचे
देश के विभिन्न राज्यों से अब तक पटना में 14 हजार के करीब मजदूर पहुंच चुके हैं। इन्हें 163 क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए हैं। इनमें 1822 प्रवासी मजदूर 21 दिन की क्वारंटाइन अवधि पूरा कर गांव लौट चुके हैं। शेष को अलग-अलग प्रखंडों में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। अच्छी बात यह है कि अब तक विभिन्न अस्पतालों एवं क्वारंटाइन केयर सेंटर से कुल 55 लोगों को डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया है। इन मरीजों को कोरोना वायरस का संक्रमण होने के बाद भर्ती कराया गया था।
कुमार रवि, डीएम पटना कहते हैं कि क्वारंटाइन सेंटर में आने वाले प्रवासी मजदूरों की जांच गहनता से कराई जा रही है। जिनमें भी बीमारी के लक्षण पाये जा रहे हैं, उन सबकी जांच हो रही है। इसलिए अधिक केस मिल रहे हैं।