क्या बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन का राजनीतिक बॉस भाजपा है?

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पटना: बिहार में पिछले 24 घंटे से एक बात साबित हो गई है कि सत्तारूढ़ गठबंधन का राजनीतिक बॉस भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व है और प्रशासनिक नेतृत्व जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ में है. ये कहना और मानना है ख़ुद जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का. रविवार को जब पार्टी ने बिहार विधान परिषद के लिए तीन प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की, उससे कुछ घंटे पूर्व से उन विधान पार्षदों को बुलाकर पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और आरसीपी सिंह ने यही कारण गिनाया कि भाजपा ने हमारी चौथी सीट देने की मांग को नहीं माना. इसके बाद हमारे पास कोई चारा नहीं था. पार्टी ने चारो विधान पार्षदों में से किसी को इस बार किसी को रिपीट नहीं किया. केवल नीतीश कुमार तीसरी बार विधान पार्षद चुने जाएंगे.

वहीं भाजपा के बिहार के नेताओं का कहना है कि अगर जनता दल के नेता ये बात कह रहे हैं तो इससे साफ़ है कि गठबंधन का राजनीतिक नेतृत्व नरेंद्र मोदी और अमित शाह के पास है और नीतीश कुमार केवल बिहार के मुख्यमंत्री हैं. उनका कहना है कि अपने नेताओं के सामने ये रोना रोकर कि भाजपा ने हमारी मांग नहीं मानी, जनता दल यूनाइटेड ने प्रचारित कर दिया कि इस बार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बिना बिहार में किसी का कोई पता नहीं खड़कने वाला.

इसलिए जब नीतीश कुमार ने उप चुनाव के पहले चुनाव ना लड़ने और प्रचार से अलग रहने की घोषणा की तब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के आदेश के बाद नीतीश कुमार को मन मार कर ना केवल जहानाबाद सीट पर प्रत्याशी देना पड़ा बल्कि उन्‍होंने सभी सीटों पर चुनाव प्रचार भी किया. जिससे उनकी राजनीतिक हैसियत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.