पटना: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव और उनके परिवार के लोगों ख़ासकर उनके राजनीतिक उतराधिकारी और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के ख़िलाफ़ शिकंजा कसता जा रहा है. आने वाले दिनों में आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय उनकी कुछ और सम्पत्तियां ज़ब्त कर सकती है. लेकिन सबसे चौंकाने वाला तथ्य आयकर विभाग की जाँच में सामने आया है. उनके आदेश में भी विस्तृत तरीक़े से चर्चा की गई है कि जैसा पटना में तीन एकड़ ज़मीन रेलवे के दो होटल राँची और पुरी के बदले में ली गई वैसा पैटर्न हर संपत्ति को अर्जित करने में किया गया है. ख़ासकर बेनामी कंपनियों के माध्यम से किया गया है.
दिल्ली के फ़्रेंड्स कालोनी में जो 500 फ़ीट में फैले बंगले को तेजस्वी और उनकी बहन चंदा यादव मात्र 4 लाख के शेयर ख़रीद कर वर्तमान में 40 करोड़ की संपती के मालिक बने उस मामले के आदेश में साफ़ लिखा है कि इस पूरे लेन-देन में चेन्नई इस्थित डीएलएफ इंफ़्रा सिटी डेवलेपर्स की अहम भूमिका रही. इसके अलावा इस डील में ईएनएस ग्रुप्स और लालू परिवार के क़रीबी अमित कत्याल की अहम भूमिका रही. इन दो कोंपनियों ने लालू यादव जब रेल मंत्री थे तब रेलवे के नई दिल्ली और मुंबई में कई सम्पत्ति के लिए टेंडर डाले थे और इस काम के लिए मीसा भारती और उनके पति शैलेश के साथ एक बीयर फ़ैक्टरी में निदेशक अमित कत्याल के साथ उनके सम्पर्क में थे. लेकिन आदेश में ये स्पष्ट नहीं है कि आख़िर इन कंपनियों को रेल की संपत्ति मिली या नहीं.
लेकिन इस आदेश में इस बात का उल्लेख है कि तेजस्वी यादव को अमित कत्याल की ट्रायंगल ट्रेडिंग से साढ़े नो लाख एक घढ़ी खरीदने के लिए दिया गया. सबसे चौंकाने वाला ख़ुलासा तेजस्वी यादव के संदर्भ में ये है कि इस बंगले के एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवट लिमिटेड के निदेशक से नवंबर 2015 में विधायक और उपमुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने चेक पर सिग्नेचर किया है.
ये संपत्ति आयकर विभाग ने बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन ऐक्ट के तहत ज़ब्त किया है. हालांकि इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ वो आयकर विभाग एपेलेट ट्रायबुनल में जा सकते हैं, लेकिन जाँच की आँच धीरे धीरे लालू यादव तक जा रही है और आने वाले दिनो में सीबीआई भी इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर सकती है.