गोरखपुर के अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ये एक राज्य, एक अस्पताल और एक जिले की घटना है. इसलिए याचिकाकर्ता इस मामले में हाई कोर्ट जा सकते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने टीवी पर देखा है कि खुद मुख्यमंत्री मामले में निगरानी रखे हुए हैं. केंद्र सरकार के मंत्री भी अस्पताल गए हैं. दरअसल एक महिला वकील राजश्री रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में संज्ञान लेने की गुहार लगाई थी. इस पर व्यवस्था देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की.
इससे पहले गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में दो दिनों में 30 बच्चों की मौत के बाद हालात का जायजा लेने गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा करते हुए कहा कि बच्चों की मौत के मामले की गहन जांच कराई जाएगी. उन्होंने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के लापरवाही बरतने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार की तरफ से इस मामले में कोई लापरवाही नहीं हुई. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार हमारी हर संभव मदद कर रही है. उन्होंने कहा कि इस हादसे की जांच के लिए चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है. रिपोर्ट के आने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. दोषियों को ऐसी सजा मिलेगी जोकि मिसाल बनेगी.
इसके साथ ही गोरखपुर समेत तराई इलाकों में इंसेफ्लाइटिस की समस्या पर बोलते हुए कहा कि इसकी वजह से अब तक कई बच्चों की जानें गई हैं. हम इसके खिलाफ शुरू से लड़ाई लड़ रहे हैं. प्रदेश के 90 लाख बच्चों को वैक्सीन देकर इनसेफ्लाइटिस के खिलाफ लड़ाई का आगाज किया है. इस लिहाज से इस पीड़ा के बारे में मुझसे ज्यादा कोई नहीं जान सकता. इन वजहों से ही पीएम नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर को एम्स जैसा संस्थान दिया है. वह इस घटना के बाद यहां के हालात को लेकर चिंतित है. अपने दौरे के बारे में कहा कि मैं सीएम बनने के बाद चौथी बार बीआरडी अस्पताल पहुंचा हूं.