छात्रा को ब्लैकमेल करने के मामले में वाराणसी के SSP को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नर्सिंग कोर्स की एक छात्रा को वाराणसी में तैनात पुलिस कर्मियों द्वारा कथित तौर पर ब्लैकमेल किए जाने के एक मामले में वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दो सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत तौर पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति वी. के. सिंह की पीठ ने नर्सिंग की छात्रा द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया. छात्रा ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने और कथित तौर पर ब्लैकमेल करने वाले पुलिस अधिकारियों के उत्पीड़न से खुद की सुरक्षा की मांग की है.

याचिका में पीड़ित छात्रा ने कहा कि वह एक गरीब किसान की बेटी है और बारहवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक निजी संस्थान से नर्सिंग कोर्स करने के लिए उसने बलिया स्थित अपने गांव से वाराणसी का रुख किया. वह वाराणसी के पांडेयपुर में राजेश कुमार के मकान में किराए पर कमरा लेकर रहने लगी. छात्रा का आरोप है कि 17 जून, 2016 की रात राजेश कुमार ने उसका शील भंग करने का प्रयास किया, जिसकी सूचना पुलिस उप निरीक्षक विनोद सिंह को दी.

हालांकि, विनोद सिंह ने प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय राजेश से साठगांठ कर ली और उसे जाने दिया. बाद में विनोद सिंह ने वाराणसी के कैंट पुलिस थाने में याचिकाकर्ता के खिलाफ वसूली की प्राथमिकी दर्ज कर ली. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि यह प्राथमिकी दर्ज करने के बाद विनोद सिंह उस समय कैंट पुलिस थाना पर तैनात पुलिस निरीक्षक केपी सिंह के साथ मिलकर उस प्राथमिकी की आड़ में उसे ब्लैकमेल करने लगा. छात्रा का आरोप है कि वर्तमान में लंका पुलिस थाना में निरीक्षक के पद पर तैनात केपी सिंह उसे भद्दे और अश्लील संदेश व्हाट्सएप्प पर भेजने लगा और रात में उसे फोन किया करता था.

साथ ही वह इस बात की धमकी भी देता कि यदि छात्रा ने उसके साथ और एसआई विनोद सिंह के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पुलिस अधिकारियों द्वारा ब्लैकमेल से आजिज आकर छात्रा ने वाराणसी के एसएसपी से इसकी शिकायत की और 23 अगस्त, 2016 को उसका प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी. पीड़ित छात्रा के वकील भुवन राज ने दलील दी कि पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई है, जबकि वसूली के मामले में पुलिस ने छात्रा के खिलाफ 11 जनवरी, 2017 को आरोप पत्र दाखिल कर दिया.

चूंकि आरोपी पुलिस अधिकारी हैं और आज की तिथि तक इस मामले की जांच में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है, इसलिए इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी जानी आवश्यक है. अदालत ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद करने का निर्णय किया.