जैकलीन 1962 में नौ दिन की भारत यात्रा पर आई थीं. चूँकि ये एक निजी यात्रा थी, इसलिए उन्हें सलाह दी गई कि किसी अमरीकी एयरलाइन के बजाए एयर इंडिया से भारत जाएं. उन्होंने ऐसा ही किया. उन्होंने रोम से दिल्ली के लिए एयर इंडिया की फ़्लाइट ली.
उनके साथ उनकी बहन राजकुमारी ली रैद्ज़ीविल और उनकी आया प्रोवी भी भारत आई थी. भारत आने से पहले ये तीनों पोप से मिलने वैटिकन गई थीं. ली इस बात से थोड़ा नाराज़ थीं कि पोप ने उनसे सिर्फ़ इसलिए मिलने से इंकार कर दिया था क्योंकि उनका तलाक़ हो चुका था जबकि उन्हीं पोप को उनकी आया प्रोवी से मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई जो तीन नाजायज़ बच्चों की माँ थीं.
वे कैनेडी को नहीं बचा सके……
क्या रुकने वाला था मार्टिन लूथर किंग का भाषण?
हाँलाकि ये एक निजी यात्रा थी, लेकिन तब भी भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पालम हवाई अड्डे पर जैकलीन केनेडी के विमान का इंतज़ार कर रहे थे. विमान पालम के चक्कर पर चक्कर लगाए जा रहा था, लेकिन उतरने का नाम नहीं ले रहा था.
नेहरू ने उस समय अमरीका में भारत के राजदूत बीके नेहरू से कहा कि पता लगाएं कि माजरा क्या है.
बीके नेहरू अपनी आत्मकथा ‘नाइस गाइज़ फ़िनिश सेकेंड’ में लिखते हैं, “मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि जहाज़ के न उतरने का कारण ये है कि जैकलीन ने अपना मेकअप पूरा नहीं किया है. नेहरू को थोड़ा अचरज हुआ और वो थोड़ा मुस्कराए. मैंने उनसे कहा कि अमरीका की इस प्रथम महिला को प्रोटोकॉल वगैरह की परवाह नहीं है. उनके लिए सुंदर दीखना, समय पर पहुंचने से ज़्यादा महत्वपूर्ण है.”
बहरहाल जैकलीन उतरी और नेहरू ने गुलदस्तों से उनका स्वागत किया. पालम से तीनमूर्ति निवास तक के पूरे रास्ते में हज़ारों लोग जैकलीन कैनेडी के स्वागत में सड़कों के दोनों ओर खड़े थे. उनमें बहुत से लोग अपनी बैलगाड़ियों में ‘अमरीका की इस महारानी’ के दर्शन करने आए थे.
अमरीकी दूतावास पहुंचने के थोड़ी देर बाद भारत में अमरीकी राजदूत केन गालब्रेथ ने बीके नेहरू से कहा कि जैकलीन चाहती हैं कि भारत में वो जहाँ भी जाएं, आप उनके साथ चलें. इस तरह बीके नेहरू अपने ही देश में विदेशी राजदूत के मेहमान के मेहमान बन गए.
जैकलीन की रेलयात्रा
जैकलीन और उनकी बहन ने पहली रात प्रधानमंत्री निवास में बिताई. नेहरू ने उनके सम्मान में ज़बरदस्त भोज दिया. खाना जल्दी ख़त्म हो गया और इन दोनों के पास अपने अपने कमरों में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा. तभी परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष होमी भाभा ने सलाह दी कि आप हमारे साथ नाचती क्यों नहीं.
जैकलीन की बहन ली तो इसके लिए फ़ौरन तैयार हो गई लेकिन जैकलीन थोड़ा झिझक रही थीं. बीके नेहरू और भाभा ने जैकलीन को उनके कमरे में छोड़ा और ली के साथ उस समय के दिल्ली के बेहतरीन होटल इंपीरियल के ‘द टैवर्न’ में डांस करने चले गए.
अगले दिन जैकलीन और उनकी बहन ली, केन और किटी गालब्रेथ, बीके नेहरू और विदेश मंत्रालय की एक अधिकारी सूनू कपाडिया जिन्हें जैकलीन का लियाज़ां अफ़सर बनाया गया था, एक विशेष रेलगाड़ी से आगरा के लिए रवाना हुए.
रेलवे बोर्ड ने जैकलीन के लिए भारत में उपलब्ध बेहतरीन रेल सैलून का बंदोबस्त किया था. खाने और वाइन का भी अच्छा प्रबंध था. जैकलीन को ये सब बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि अमरीका में वो विमान से उड़ने की आदी थी और अर्से बाद वो ट्रेन से सफ़र कर रही थीं. जैकलीन ने फ़तहपुर सीकरी का अकबर का महल और ताज महल देखा. अगले दिन उन्हें विमान से अपनी यात्रा जारी रखनी थी, लेकिन जैकलीन ने इच्छा प्रकट की कि वो यहाँ से वाराणसी जाना चाहेंगी और वो भी ट्रेन से.
नेहरू लिखते हैं, “सूनू मेरे पास दौड़ी दौड़ी आईं और पूछने लगी कि क्या इतने कम नोटिस पर वाराणसी की यात्रा आयोजित की जा सकती है. मैंने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन करनैल सिंह को फ़ोन मिलाया. उन्होंने आनन फानन में इसकी व्यवस्था कराई और हम सब लोग ट्रेन से वाराणसी के लिए रवाना हो गए. लेकिन अपने उत्साह में मैं इसके बारे में विदेश मंत्रालय को बताना भूल गया. दिल्ली वापस लौटने पर मुझे इस बात की डांट पिलाई गई कि मैंने अमरीका के राष्ट्रपति की पत्नी की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है.”
वाराणसी से जैकी उदयपुर गईं जहाँ महाराणा के महल में दो रातें रूकी. महल इतना भव्य था कि जैकी ने अपने पति को चिट्ठी लिख कर कहा कि इसके एक विंग में पूरा का पूरा व्हाइट हाउस समा जाएगा.
बीके नेहरू लिखते हैं, “वहीं एक रात जैकी ने कहा कि हम लोग लेक की तरफ़ घूमने चलें. हम लोग वहाँ गए, चाँदनी रात में लेक का नज़ारा लिया और वापस लौट आए. अगले दिन सूनू ने मुझे बताया कि नाश्ते के वक्त हमारे सुरक्षा जवानों ने अमरीकी सुरक्षा जवानों से मज़ाक किया, ‘हमारे साहब ने आपकी मेमसाहब को किडनैप कर लिया और आपको पता ही नहीं चला. शायद हमारे सुरक्षा जवान हम पर दूर से नज़र रख रहे थे.’
महल में उस दौरान जैकलीन के अलावा बीकानेर के महाराजा कर्णी सिंह के अलावा अमरीका की एक बहुत सुंदर फ़ोटोग्राफ़र भी ठहरी हुई थी. उदयपुर की महारानी ने जैकलीन कैनेडी से शिकायत की कि उनके पति का इस फ़ोटोग्राफ़र से चक्कर चल रहा है. आप इस मामले में मेरी मदद करें.
नेहरू लिखते हैं कि जैकलीन ने उस फ़ोटोग्राफ़र को बुला कर खूब झाड़ लगाई और उसके कैमरे को खोल कर उस महिला द्वारा खींची गई सारी फ़िल्म को एक्सपोज़ कर दिया. जाहिर था वो भारतीय जनता द्वारा उन्हें दिए गए ‘अमरीकी महारानी’ के ख़िताब को बहुत गंभीरता से ले रही थीं.’
राज महल में रूकने पर आपत्ति
जैकलीन का अगला पड़ाव जयपुर था. महाराजा जयपुर और महारानी गायत्री देवी दोनों जैकलीन की बहन ली रैद्ज़ीविल के निजी दोस्त थे.
उन्होंने दोनों मेहमानों को न्योता दिया था कि वो दोनों बहनें उनके साथ ही ठहरें और दोनों इसके लिए राज़ी भी थीं. लेकिन राज्य सरकार को इस पर ऐतराज़ था. कारण ये था कि उस समय राज्य सरकार और महाराजा के बीच उनके अधिकारों को ले कर एक तरह की जंग छिड़ी हुई थी.
सरकार को इस बात पर आपत्ति थी कि अगर अमरीका के राष्ट्रपति की पत्नी राज भवन के बजाए महाराजा के साथ रूकती हैं तो इससे उनके रसूख में वृद्धि होगी. जैकलीन का तर्क ये था कि ये एक निजी यात्रा है और भारत सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वो ये तय करे कि उन्हें रहना कहाँ है. व्हाइट हाउस और भारत सरकार के बीच चले कई संवादों के बाद बीच का रास्ता ये निकाला गया कि जैकलीन एक रात राज भवन में रूकेंगी और फिर दो रातों के ले महाराजा के महल में चली जाएंगी.
उस समय गुरुमुख निहाल सिंह राजस्थान के राज्यपाल हुआ करते थे. वो स्वतंत्रता सेनानी थे. शालीन और विनम्र भी थे. लेकिन उनमें इस पद के लिए ज़रूरी लालित्य और स्टाइल का अभाव था.
राज्यपाल के साथ नहीं बैठीं जैकलीन
रात में उन्होंने जैकलीन कैनेडी के लिए भोज का आयोजन किया. जैकलीन उनके दाएं और उनकी बहन ली उनके बाएं बैठी हुई थीं.
बीके नेहरू लिखते हैं, “राज्यपाल महोदय कुछ भी नहीं खा रहे थे और डकारें ले रहे थे. वो भी ज़ोर ज़ोर से. मैंने उनसे पूछा कि आप कुछ खा क्यों नहीं रहे हैं? उन्होंने जवाब दिया कि उनका हाज़मा ठीक नहीं है. इसलिए उन्होंने सात बजे ही दो उबले अंडों का अपना खाना खा लिया था. खाने के बाद जैकलीन ने अमरीकी राजदूत को सूचित किया कि वो अगले दिन राज्यपाल के साथ कार में बैठ कर आमेर का किला देखने नहीं जाएंगी.”
“अगली सुबह मुझे बताया गया कि मैं ली रैद्ज़ीविल के साथ कार में न बैठकर राज्यपाल और जैकलीन के बीच उनकी कार में बैठूंगा. उन्होंने ये साफ़ कर दिया कि वो किसी भी हालत में डकार लेते राज्यपाल की बगल में नहीं बैठेंगी, इसलिए मुझे उनके और राज्यपाल के बीच बैठाया गया. राज भवन से आमेर तक का सफ़र हम तीनों के लिए बहुत ही कष्टप्रद था, क्योंकि कार की दो लोगों की सीट पर हम तीन लोग बैठे हुए थे, और राज्यपाल को तंग करने के लिए जैकलीन ने सिगरेट भी सुलगा ली थी.”
दिल्ली लौटने पर मुख्य समारोह अमरीकी राजदूत के यहाँ था. उन्होंने एक रात्रि भोज का आयोजन किया था जिसमें प्रधानमंत्री नेहरू भी शामिल हुए थे.
जैकलीन की होली
अगला दिन जैकलीन कैनेडी की भारत यात्रा का अंतिम दिन था और संयोग से उस दिन होली थी. हवाई अड्डे जाने से पहले जैकलीन नेहरू को गुड बाई कहने उनके निवास स्थान तीनमूर्ति भवन गईं.
उन्होंने हमेशा की तरह काफ़ी फ़ैशनेबल कपड़े पहन रखे थे. अमरीकी राजदूत गालब्रैथ को होली के बारे में पता था, इसलिए वो कुर्ता पायजामा पहन कर आए थे.
बीके नेहरू लिखते हैं, “मैंने भी होली के मिज़ाज के ख़िलाफ़ लाउंज सूट पहन रखा था. मुझे पता था कि नेहरू होली खेलने के शैकीन थे. जैसे ही जैकलीन पहुंची, एक चाँदी की ट्रे में छोटी छोटी कटोरियों में कई रंगों के गुलाल उनके सामने लाए गए. नेहरू ने जैकलीन के माथे पर गुलाल का टीका लगाया. उन्होंने भी नेहरू के माथे पर टीका लगा दिया. वहाँ मौजूद इंदिरा गांधी ने भी यही किया.”
“लेकिन जब मेरी बारी आई तो मैंने एक मुट्ठी भर हरा गुलाल ले कर जैकलीन की पूरी नाक रंग दी. जैकलीन पहले ही नेहरू से कह चुकी थी कि मुझे उस दिन इन कपड़ो में नहीं आना चाहिए था और गालब्रेथ की तरह ही कपड़े पहनने चाहिए थे. जैसे ही मैंने जैकलीन को रंग लगाया, वो बोली मैं आपको सबक सिखाती हूँ. उन्होंने हरे गुलाल की पूरी कटोरी उठा कर मेरे सूट पर पलट दी.”
रंग गीले नहीं थे, इसलिए बी के नेहरू का सूट ख़राब नहीं हुआ. थोड़े पानी की मदद से जैकलीन का चेहरा और बीके नेहरू का सूट दोनों साफ़ हो गए. उन्होंने अमरीकी राजदूत गालब्रेथ के साथ पालम हवाई अड्डे पर जैकलीन कैनेडी को विदाई दी.