जीतन राम मांझी ने दिया महागठबंधन को झटका,मजलिस से मिलाएं हाथ!

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पटना: बिहार में चुनावी हलचल अब बढ़ने लगी है. इस बीच ख़बर है कि जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा’ और ओवैसी की पार्टी ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ इस बार साथ मिलकर पूरे बिहार की तमाम सीटों पर चुनाव लड़ेंगे.

विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार की शाम पटना स्थित जीतन राम मांझी के आवास पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, बिहार के अध्यक्ष अख़्तरूल ईमान की मुलाक़ात हुई. इस मुलाक़ात में इस बात पर सहमति बन गई है कि इस बार दोनों पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी. चुनाव बिहार की तमाम सीटों पर लड़ा जाएगा. हालांकि सीटों के बंटवारे पर अभी अंतिम बातचीत बाक़ी है.

शुक्रवार की शाम पटना स्थित जीतन राम मांझी के आवास पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, बिहार के नेताओं की मुलाक़ात

शुक्रवार की शाम पटना स्थित जीतन राम मांझी के आवास पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, बिहार के नेताओं की मुलाक़ात

बता दें कि दिसम्बर 2019 में ही जीतन राम मांझी बिहार के किशनगंज में नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के विरोध में आयोजित एक रैली में ओवैसी के साथ मंच साझा करने वाले थे. इस ख़बर के साथ ही बिहार की सियासत में यह बात हवा में तैरने लगी थी कि विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गठबंधन कर मैदान में उतर सकते हैं. लेकिन तब मांझी झारखंड में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की वजह से शामिल नहीं हो सके थे.

विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो महागठबंधन के सदस्य जीतन राम मांझी राष्ट्रीय जनता दल, बल्कि ख़ास तौर पर तेजस्वी यादव से काफ़ी नाराज़ चल रहे थे. अपनी ये नाराज़गी मीडिया में कई बार ज़ाहिर भी कर चुके हैं.

सूत्रों की मानें तो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, बिहार के अध्यक्ष अख़्तरूल ईमान बिहार में एक नया गठबंधन तैयार करने की कोशिश में हैं, जिसमें उनका पूरा ध्यान बिहार मुस्लिम वोटों के साथ-साथ दलित, पिछड़ा व अति-पिछड़ा समाज को एक साथ लाने का है. ख़बर ये है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की बातचीत भीम आर्मी चीफ़ चंद्रशेखर आज़ाद से भी चल रही है. मुमकिन है कि उनकी नई पार्टी ‘आजाद समाज पार्टी’ भी इस गठबंधन में शामिल हो सकती है.

बता दें कि अख़्तरूल ईमान बिहार की सियासत के एक काफ़ी अहम नाम हैं. सियासत का एक लंबा तजुर्बा है. 2005 में राजद के टिकट से पहली बार विधानसभा पहुंचे. अगले इलेक्शन में भी जीत दर्ज की. 2014 में राजद छोड़कर नीतिश कुमार की पार्टी जदयू में शामिल हो गए. नीतिश कुमार ने इन्हें किशनगंज लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन नॉमिनेशन करने के बाद अख़्तरूल ईमान ने आख़िर समय में ये कहते हुए खुद को मुक़ाबले से अलग कर लिया कि हमने ये क़ुर्बानी गुजरात के दंगाईयों को रोकने और सीमांचल में अमन व सलामती बरक़रार रखने के लिए दी है. इसके बाद 2015 में इन्होंने ओवैसी का साथ देने का ऐलान कर दिया. तब से ये ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के बिहार अध्यक्ष हैं. 2019 लोकसभा चुनाव मामूली वोटों के अंतर से हार गए.