पटना:
पूरे देश में आज एक साथ कई राज्यों के लिए श्रमिक विशेष ट्रेनें चलीं लेकिन एक विषय पर बहस शुरू हो गई कि टिकट का पैसा कौन देगा? जहाँ कोटा से चलने वाली ट्रेनों में किसी भी छात्र को पैसा देने की ज़रूरत नहीं पड़ी वहीं दक्षिण के राज्यों ख़ासकर त्रिवेंद्रम में यात्रियों ने शिकायत की कि उनसे पैसा लेकर ही ट्रेन में चढ़ने की अनुमति दी गई है. इस बीच बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने इस संबंध में साफ़ किया कि ऐसा केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों में है कि यात्रियों को अपने किराये का पैसा देना होगा. लेकिन सवाल है कि छात्रों के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन का खर्च राज्य सरकारें क्यों वहन कर रही हैं और मज़दूरों से पैसा क्यों लिया जा रहा है.
एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोनावायरस संक्रमण को काबू करने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओं, श्रद्धालुओं, पर्यटकों एवं अन्य लोगों के आवागमन को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में छूट दिए जाने का स्वागत किया था. नीतीश ने इस छूट के लिए केन्द्र सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा था कि ये निर्णय उपयुक्त एवं स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा था, ‘यह हमारा आग्रह था और उस पर केन्द्र सरकार ने सकारात्मक निर्णय लिया है. इससे बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में फंसे हुए बिहार आने के इच्छुक प्रवासी मजदूरों, छात्र-छात्राओें, श्रद्धालुओं, पर्यटकों तथा अन्य लोगों को यहां आने में सुविधा होगी और उन्हें बड़ी राहत मिलेगी.’
मुख्यमंत्री ने कहा था कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन जनहित में है और सबको इसका पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने इस मामले में केन्द्र सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम के अन्तर्गत जारी दिशा-निर्देशों का हमेशा अनुपालन किया है. कोरोना वायरस पर चर्चा के लिए गत 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नीतीश ने कहा था कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थानों में बिहार के छात्र भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं.