डॉक्टरेट ऑफ साइंस की डिग्री पाने वाली पहली भारतीय महिला असिमा चटर्जी को गूगल ने ऐसे किया याद

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नई दिल्ली: भारतीय रसायनशास्त्री असिमा चटर्जी के 100वें जन्मदिवस पर गूगल ने एक खास डूडल बनाकर उनको याद किया. असिमा चटर्जी ने जैवरसायन विज्ञान और फाइटोमेडिसिन के क्षेत्र में काम किया था. उनके सबसे उल्लेखनीय कार्य में विना एल्कालोड्स पर शोध शामिल है. उन्होंने भारतीय उपमाहद्वीप के औषधीय पौधों पर भी बहुत काम किया. असीमा चटर्जी  का जन्म 23 सितंबर 1917 को बंगाल में हुआ था. वो एक उत्कृष्ट छात्रा थीं, चटर्जी कोलकाता में बड़ी हुईं और स्कूल की शिक्षा के बाद में कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला लिया, उन्होंने साल 1936 में रसायन विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.

असिमा चटर्जी ने वर्ष 1938 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से जैवरसायन विज्ञान में मास्टर की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने 1944 में डॉक्टरेट की डिग्री पूरी की. उन्होंने डॉक्टरेट अनुसंधान में पौध उत्पादों और कृत्रिम जैविक रसायन विज्ञान के रसायन विज्ञान पर ध्यान केंद्रित किया. चटर्जी ने अपने शोध को प्राकृतिक उत्पादों के रसायन विज्ञान के आसपास केंद्रित किया और इसके परिणामस्वरूप मलेरियारोधी और कीमोथेरेपी दवाओं का परिणाम निकला.

असिमा चटर्जी बाद में रसायन विज्ञान विभाग के संस्थापक प्रमुख के रूप में वर्ष 1940 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के लेडी ब्रेबॉर्न कॉलेज में नियुक्त हुईं. बता दें कि चटर्जी किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ साइंस प्राप्त करने वाली पहली महिला बनीं.

असिमा चटर्जी के बारे में खास बातें…
-असिमा चटर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रेमचंद रॉयचंद स्कॉलर थीं.
-चटर्जी 1944 में भारतीय विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा जनिकी अम्माल के बाद दूसरी महिला थीं, जिन्हें —डॉक्टरेट ऑफ साइंस की उपाधि प्रदान की गई थी.
-वर्ष 1960 में असिमा चटर्जी को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (नई दिल्ली) का फेलो चुना गया था.
-फरवरी 1982 से मई 1990 तक असिमा चटर्जी को राज्यसभा के सदस्य के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया गया था.