तेजस्वी के मुद्दे पर नीतीश की नई डेडलाइन, विधानसभा सत्र से पहले साफ हो जाएगी तस्वीर

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पटना: पिछले कई दिनों से चल रहा बिहार की राजनीति का महाड्रामा अब फाइनल दौर में पहुंच गया है. राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को हटाने या नहीं हटाने को लेकर अपना रुख साफ कर देंगे. क्योंकि, मुख्यमंत्री ने एकबार फिर कहा है कि वे सरकार की छवि को दागदार नहीं होने देंगे. इस मुद्दे पर वे लालू यादव से एकबार फिर मुलाकात करने जा रहे हैं, साथ ही महागठबंधन के दलों के साथ बैठक करेंगे. उधर, महागठबंधन के सभी दलों ने अपने-अपने विधायक दल को बैठक की सूचना तो दी है लेकिन साझा बैठक के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है.

नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में आए संकट पर कहा कि अगले 72 घंटों के अंदर तस्वीर और साफ हो जाएगी, उन्होंने उम्मीद जताई कि तेजस्वी यादव स्वत: ही इस्तीफा दे देंगे. इस मामले में अब कांग्रेस ने मध्यस्थता करने से हाथ खींच लिया है.

तेजस्वी ने अपने बचाव में पिछले हफ्ते नीतीश से मुलाकात की थी. जानकार बताते हैं कि तेजस्वी नीतीश को मनाने में असफल रहे. तब उन्होंने सोनिया गांधी से फोन पर बात करके मामले को सुलझाने की पेशकश की. सोनिया गांधी की कांग्रेस पार्टी बिहार महागठबंधन में तीसरे नंबर की पार्टी है. पिछले दिनों चर्चा थी कि नीतीश और लालू के बीच सुलह कराने में सोनिया गांधी ने कोशिश की थी. पिछले सप्ताह नीतीश कुमार ने दिल्ली में सोनिया और राहुल गांधी से मुलाकात की थी. जब राहुल से इस मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि यह आंतरिक मामला है. इस पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती.

दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह में आए नीतीश कुमार से पत्रकारों ने जब सवाल किया, ‘क्या वह अपनी सरकार में तेजस्वी की मौजूदगी से हैं.’ तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, ‘आप सहज रहें.’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है.

बता दें कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं. सीबीआई ने पिछले महीने लालू परिवार पर छोपेमारी करके कई मामलों में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था. इनमें तेजस्वी पर करोड़ों की जमीन नाम करने का भी आरोप है.

उधर, राजनीतिक  जानकार बताते हैं कि अगर नीतीश को अपनी छवि को साफ-सुथरा बनाए रखना है तो तेजस्वी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना होगा और अगर तेजस्वी को सरकार से बाहर किया जाता है तो सरकार खतरे में पड़ सकती है क्योंकि बिहार सरकार में आरजेडी विधायकों की तादाद काफी अच्छी है. इसलिए नीतीश भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे अपने मुख्यमंत्री से किस तरह खुद को पाक-साफ साबित करेंगे, यह रहस्य बना हुआ है.

क्योंकि विरोधी दलों के साथ-साथ सत्ताधारी दलों से भी तेजस्वी के खिलाफ आवाज मुखर हो रही है. उधर, आरजेडी भी नीतीश को धमकी दे रहा है कि अगर तेजस्वी यादव को बाहर का रास्ता दिखाया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा. जदयू और राजद के बीच जुबानी जंग के बीच राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और अररिया से पार्टी के सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन ने नीतीश पर प्रहार करते हुए उन पर भाजपा के संपर्क में होने का आरोप लगाया.

रघुवंश प्रसाद सिंह ने जदयू के भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरेंस के दावे पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार जमीनी स्तर पर व्याप्त है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन के प्रमुख होने के नाते नीतीश की जिम्मेदारी है कि वे इसके सभी वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर महागठबंधन को अटूट रखें.

तस्लीमुद्दीन को होटल के बदले भूखंड को लेकर सीबीआई की प्राथमिकी के मद्देनजर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का बचाव करते हुए एक टीवी चैनल पर यह कहते हुए देखा गया कि ‘नीतीश कुमार दूध के धुले हैं क्या.. रात में भाजपा के साथ जाते हैं और दिन में राजद के साथ.’

जदयू प्रवक्ता सुनील सिंह ने रघुवंश पर प्रहार करते हुए भाजपा को लेकर सांठगांठ को लेकर अलूल—जलूल’ बयानबाजी करने का आरोप लगाते हुए राजद नेतृत्व से इस तरह की बयानबाजी को रोकने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि महागठबंधन (जदयू—राजद—कांग्रेस) को अटूट बनाए रखना तीनों घटक दलों की जिम्मेदारी है.

विपक्षी पार्टी भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि वह भ्रष्टाचार को मुद्दे को लेकर 28 जुलाई से शुरू होने वाले विधानमंडल सत्र को नहीं चलने देंगे. सुशील मोदी, लालू प्रसाद और उनके परिवार पर पिछले डेढ महीने से ‘बेनामी संपत्ति’ को लेकर लगातार आरोप लगाते आ रहे हैं. उन्होंने लालू और उनके परिवार पर करीब एक हज़ार करोड़ रुपये की ‘बेनामी संपत्ति’ होने का दावा किया था.