तेजस्वी के राजनीतिक करियर पर लग सकता है ग्रहण, कभी नहीं लड़ पाएंगे चुनाव

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तेजस्वी के राजनीतिक करियर पर लग सकता है ग्रहण, कभी नहीं लड़ पाएंगे चुनाव 

आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला मामले में सीबीआई ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत 14 लोगों पर चार्जशीट दाखिल किया है। तेजस्वी समेत अन्य आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है। इन धाराओं में तेजस्वी के लिए आगे काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है।

एक वरीय अधिवक्ता के मुताबिक इन धाराओं के तहत चार्जशीट फाइल होने के बाद सभी अभियुक्तों को अग्रिम बेल लेना पड़ता है। हालांकि यह कोर्ट ऐसे मामलों में बेल दे भी सकता है और नहीं भी। चार्जशीट दाखिल होने का बाद अब कोर्ट इस मामले में कॉग्निजेंस लेगा उसके बाद ट्रायल होगा। ट्रायल के दौरान अगर पर्याप्त सबूत और गवाह प्रस्तुत कर देती है तो आरोपी को 7 साल तक की सजा हो सकती है। कृष्ण प्रसाद सिंह बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के हाल के आदेश के आधार पर राजनीतिज्ञों से सम्बंधित मुकदमों में स्पेशल कोर्ट में सुनवाई होगी ताकि जल्द से जल्द से फैसला आ सके।

पटना हाईकोर्ट के ही एक और सीनियर अधिवक्ता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सुनवाई के दौरान अगर तेजस्वी पर आरोप सिद्ध हो जाता है तो उन्हें सात साल तक की सजा मिल सकती है। ऐसे में तेजस्वी आने वाले दिनों में चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। कानूनी जानकारों के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति को 6 महीने से जयादा की सजा होती है तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत प्रावधान है कि वह व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है।

आपको बता दें कि साल 2004 में जब लालू यादव रेलमंत्री थे तब रेलवे के दो होटलों को आईआरसीटीसी को ट्रांसफर किया गया था और इनकी देखभाल करने के लिए टेंडर जारी किए गए थे। बाद में यह पाया गया कि टेंडर बांटने में गड़बड़ियां हुई हैं। लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे के पुरी और रांची स्थित दो होटलों का आवंटन कोचर बंधु की कंपनी सुजाता होटल को नियमों को ताक पर रखते हुए कर दिया था। बाद में इस आवंटन के एवज में लालू प्रसाद यादव को पटना में करोड़ों की जमीन एक शेल कंपनी डिलाइट मार्केटिंग कंपनी जो अब लारा प्राइवेट कंपनी के नाम से जानी जाती है, उसको ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के हाथ में इस केस की जिम्मेदारी है। सीबीआई के मुताबकि प्रारंभिक जांच में सामने आया था कि होटल आवंटन में गड़बड़ियां हुई हैं। होटल लीज पर देने के बदले जमीन ली गई। 65 लाख में 32 करोड़ की जमीन ली गई।