निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में अपने एक करीबी सहयोगी के निवास पर क्वारंटाइन में हैं। यह जानकारी सूत्रों ने दी। साद सरकार के निषेधात्मक आदेशों के बावजूद तबलीगी जमात का कार्यक्रम आयोजित करने के बाद विवादों में बने हुए हैं।
सूत्रों का कहना है कि मौलाना साद ज्यादातर समय मरकज निवास पर या कांधला स्थित अपने पैतृक घर में रहते हैं। मरकज प्रमुख इससे पहले भी तबलीगी जमात के विभाजन के कारण विवादों में रहे हैं। उनके वकील का कहना है कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सीआरपीसी की धारा-91 के तहत मरकज प्रमुख को दूसरा नोटिस जारी किया, लेकिन उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग नहीं की।
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मरकज के मुख्य वकील फुजैल अहमद अयूबी ने कहा कि मरकज ने पुलिस अधिकारियों द्वारा उठाए गए सभी कदमों के लिए अपना सहयोग दिया है। उन्होंने कहा कि मरकज की ओर से भविष्य में भी उक्त मामले से संबंधित जांच में पूर्ण सहयोग किया जाएगा।
कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच फिलहाल मरकज का कार्यक्रम सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है, क्योंकि इसके कार्यक्रम में शामिल हुए सैकड़ों लोग कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। सरकार ने विभिन्न राज्यों में जमात के कम से कम 25000 सदस्यों को क्वारंटाइन में रखा है। वहीं, अब भी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए व जमातियों के संपर्क में आए लोगों की तलाश की जा रही है।
कांग्रेस ने पूरे मामले की जांच की मांग की है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की एक बैंच या रिटायर्ड जज को इसकी जांच करनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके कि आखिर गलती किसकी थी। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को साम्प्रदायिक नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि हर भारतीय घातक बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एकजुट है।
सरकार पर निशाना साधते हुए गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने 12 फरवरी को यह मुद्दा उठाया था और अगर सरकार ने लोगों को भारत आने से रोका होता या हवाईअड्डों पर सही तरीके से जांच की गई होती तो वायरस इतना ज्यादा नहीं फैलता। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।