दिल्ली : दिल्ली प्रदेश जनता दल यूनाइटेड मे भी CAB को लेकर विरोध शुरु हो गया है दिल्ली प्रदेश सचिव रिज़वान अहमद ने कहा अगर भाजपा यह समझती है कि नागरिकता संशोधन कानून के द्वारा मुसलमानों को निशाना बना कर, बहुसंख्य हिंदुओं का वोट पोलराइज कर लेगी तो यह उसकी भूल है. मुसलमानों ने असम के एनआरसी से सबक सीख लिया है. दो साल तक अपना कारोबार, अपनी रोजी-रोटी अपना हर काम छोड़ कर हिंदुओं और मुसलमानों ने एनआरसी के कागजात बनवाए. 19 लाख लोग कागजात से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सके. लेकिन नागरिकता संशोधन कानून अब इन 19 लाख में से 14 लाख हिंदुओं को स्वत: नागरिकता मिल जाने का रास्ता साफ करके दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश हो रही है. अगर इसे पूरे भारत में लागू किया गया तो हिंदू मुसलमान समेत बड़ी सांख्य मे लोग कागजात से अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकेंगे. क्योंकि उनके पास अपने बाप-दादों के कोई प्रामाणिक सुबूत नहीं मिलेंगे. फिर वही होगा, मुसलमानों को छोड़ कर तमाम समुदायों की नागरिकता खतरे में नहीं पड़ेगी. ऐसे समय मे देश के मुसलमानो को एक होना होगा और NRC और CAB का विरोध करना होगा। ये पुछे जाने पर की इस्तीफा क्यों नही दे रहे हैं रिज़वान अहमद कहते है हमारी पार्टी लोकतंत्रीक है बोलने की अजादी है हम अपनी भावना शीर्स नेताओं के पास अजादी से रख सकते है
प्रदेश सचिव ने अपने रास्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री बिहार नितीश कुमार को अपने पत्र मे नाराजगी जताते हुए लिखते है
“तीन दिन पूर्व लोकसभा फिर राज्य सभा में गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा गैरसंवैधानिक नागरिक संशोधन बिल पेश किया था। जनता दल यूनाइटेड ने इस बिल के समर्थन में मतदान किया था जिस कारण मुझें व्यक्तिगत रूप से बहुत आघात पहुँचा है।
यह देश गाँधी,अम्बेडकर, नेहरू, पटेल, मौलाना आज़ाद और मौलाना अली जौहर, जय प्रकाश के विचारों से बना है। भारत के मुसलमानों ने जिन्ना के टू नेशन थ्योरी को झुठलाकर मौलाना आज़ाद के साथ आने का निर्णय लिया था। हम जिन्ना वाले नहीं बल्कि मौलाना आज़ाद, मौलाना हसरत मोहनी वाले है। बाबा साहब अम्बेडकर के नेतृत्व में देश का संविधान एक आदर्श संविधान बना था और उसी संविधान के आधार पर भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित हुआ। लेकिन देशविरोधी ताक़तों ने संविधान के मूल चरित्र के साथ छेड़छाड़ करके स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को आघात पहुँचाया है। इसलिए हम पार्टी के स्टैंड से अलग नागरिक संशोधन बिल का नैतिक विरोध करते है और आप से अनुरोध करते हौं की इस बिल को वापिस लेने पर पूनह सरकार पर दबाओ बनाएं।
जब मेरे देश के धर्मनिरपेक्ष क्षवि के साथ-साथ मेरे धर्म और समुदाय पर सीधा-सीधा प्रहार किया जा रहा है तब पार्टी के साथ बने रहने पर लोगों के सवाल का बौछार आरहा है। अतः श्रीमान से निवेदन है कि CAB कानून को वापस लिये जाने पर सरकार पर दबाओ बनाया जाये।
जदयू की धर्मनिरपेक्ष क्षवि और नितीश कुमार के विकास पुरुष की छवि को देशविरोधी आरएसएस के गोद मे गिरवी ना रख जाय”
रिज़वान अहमद बात चित मे कहते हैं
ऐसे में अगर कोई मुसलमान इस मुगालते मेंरहता है कि वह अपने तमाम संसाधन झोंक कर कागजात इकट्ठे करेगा तो वह भयावह भूल करेगा. हम लोकतांत्रिक देश में हैं. यह देश हमारा है. यहां की मिट्टी हमारी है. इस मिट्टी में हमारे खून का एक एक कतरा लगा है. अंग्रेजों की गुलामी को ध्वस्त करने के लिए हमारे बाप दादों ने हजारों जानें कुर्बान की हैं. अपनी शहादत दी है. इस देश पर, इस देश की आजादी पर, इस देश की एकता और अखंडता पर अब आरएसएस-भाजपा ने गुलामी का षड्यंत्र रच दिया है. हम उनकी गुलामी की जंजीरों को लोकतांत्रिक तरीके से तोड़ेंगे.