कुलभूषण जाधव के मामले को लेकर जब भारत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में गया था तब इसे साहसिक लेकिन चौंकाने वाला फैसला कहा गया था. उसकी वजह यह थी कि 18 सालों बाद भारत ने किसी मामले को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया.
आमतौर पर भारत पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार के विवाद को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जाने से बचता रहा है क्योंकि उसका कहना यह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद में किसी तीसरे के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. लेकिन कुलभूषण जाधव के मामले को लेकर भारत ने जो तेजी दिखाई और जिस तरह से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में आनन फानन में पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया उसे भारत के लिए बहुत बड़ी जीत कहा जाएगा.
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के मुख्य जज रोनी अब्राहम ने ना सिर्फ कुलभूषण यादव की फांसी पर रोक लगा दी, बल्कि पाकिस्तान की तमाम दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. कुलभूषण यादव केस में भारत की जीत में 5 खास बातें रही.
1. ग्यारह जजों की बेंच वाली इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के प्रमुख जज रोनी अब्राहम ने जो फैसला सुनाया उसमें सर्वसम्मति थी यानी सभी के सभी के सभी जज इस फैसले से सहमत थे. कोर्ट ने पाकिस्तान की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि कुलभूषण जाधव की फांसी पर इस कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक पूरी तरह से रोक लगाई जाए. इतना ही नहीं कोर्ट ने पाकिस्तान को यह भी आदेश दिया कि कुलभूषण यादव की फांसी पर रोक लगाने के बारे में पाकिस्तान सरकार क्या उपाय कर रही है और इसके बारे में कौन-कौन से कदम उठा रही है. उन सब की जानकारी विस्तार से इस कोर्ट के सामने रखी जाए.
2. पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपनी तरफ से यह तर्क दिया था कि कुलभूषण जाधव को फौरन फांसी देने को लेकर आशंका बेकार है, क्योंकि उनके पास पाकिस्तान की ऊंची अदालत में अपील करने का और दया याचिका दाखिल करने का रास्ता अभी खुला हुआ है और पाकिस्तान के कानून के मुताबिक इसके लिए उन्हें डेढ़ सौ दिनों का समय मिलेगा. लेकिन इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि भारत ने जो आशंका व्यक्त की है कि अंतिम फैसला आने से पहले ही कुलभूषण जाधव को फांसी पर लटकाया जा सकता है परिस्थितियों को देखते हुए वह बेबुनियाद नहीं है. कोर्ट ने कहा कि भारत ने अपनी बात साबित करने के लिए जो तर्क दिए हैं और जिस तरह से कुलभूषण जाधव के मामले में पूरी न्यायिक प्रक्रिया को गुप्त रखा गया है उसे देखते हुए भारत की आशंका बेबुनियाद नहीं है.
3. जस्टिस रोनी अब्राहम ने विस्तार से इस बात का जिक्र किया कि किस तरह भारत के बार बार कोशिश के बावजूद कुलभूषण जाधव को लेकर काउंसलर एक्सेस नहीं दिया गया और किस तरह से यह वियना समझौते का उल्लंघन है जिसके दायरे में भारत और पाकिस्तान दोनों आते हैं. वियना समझौते के तहत किसी भी देश के नागरिक को अगर दूसरे देश में गिरफ्तार किया जाता है तो उस देश को यह हक है कि अपने नागरिक को न्यायिक सहायता उपलब्ध कराए. कुलभूषण जाधव के मामले में भारत ने पाकिस्तान से अब तक 16 बार काउंसलर एक्सेस के लिए अनुरोध किया है, लेकिन पाकिस्तान ने इसे अनसुना कर दिया. हेग के अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाकिस्तान ने यह तर्क देने की कोशिश की थी वियना समझौते के तहत जासूसी के आरोप में पकड़े गए लोगों को न्यायिक सहायता देने का प्रावधान नहीं है. लेकिन पाकिस्तान की इस दलील को पूरी तरह से खारिज करते हुए जस्टिस रोनी अब्राहम ने कहा की वियना समझौते में कहीं ऐसा नहीं लिखा है कि जिन लोगों को जासूसी के आरोप में पकड़ा जाएगा उन्हें यह सुविधा नहीं मिलेगी. काउंसलर एक्सेस देने के मामले में जस्टिस अब्राहम ने पाकिस्तान को अभी कोई सीधा आदेश तो नहीं दिया है, लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान की दलीलों को रद्द किया गया है उसके बाद पाकिस्तान पर इस बात का बेहद दबाव बढ़ जाएगा कि वह भारत को कुलभूषण जाधव के मामले में काउंसलर एक्सेस दे.
4. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने अपने फैसले में गुरुवार को कहा कि अंतिम फैसला आने तक कुलभूषण जाधव को फांसी नहीं दी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान ने कुलभूषण यादव के ऊपर जो आरोप लगाए हैं उनके सही या गलत होने के बारे में कोर्ट फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है, क्योंकि उसकी जांच बाद में होगी. लेकिन यहां पर भी पाकिस्तान को झटका लगा क्योंकि कोर्ट ने फैसले में यह साफ कहा कि कुलभूषण जाधव को किन परिस्थितियों में गिरफ्तार किया गया यह एक विवाद का विषय है. भारत यह लगातार कहता रहा है कि कुलभूषण जाधव का अपहरण किया गया, जबकि पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि उन्हें जासूसी करते हुए बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया. अब पाकिस्तान के ऊपर इस बात का दबाव होगा कि वह कुलभूषण यादव की गिरफ्तारी के बारे में सारे सबूत दुनिया के सामने रखे.
5. कुलभूषण यादव के मामले में भारत ने जैसी तेजी दिखाई उस से पाकिस्तान के पैरों तले जमीन खिसक गई. कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा के बारे में पाकिस्तान ने 10 अप्रैल को जानकारी दी थी. एक महीने से भी कम समय में 8 मई को भारत इस मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में चला गया. भारत की तरफ से हरीश साल्वे ने इतने पुरजोर तरीके से इस मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सामने रखा की छुट्टी होने के बावजूद 15 मई को इस मामले की विशेष सुनवाई हुई. उसके 3 दिनों के भीतर ही 18 मई को भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए लगभग अपनी सभी मांगों पर अंतरराष्ट्रीय अदालत की मुहर लगवा ली. अब पूरी दुनिया की नजर पाकिस्तान पर होगी कि वह दुनिया की सबसे बड़ी अदालत का फैसला किस तरह से लागू करता है.