वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ़ धोनी ने 2 छक्के और एक चौका लगाकर 56 रन बनाए जिसकी मदद से इंडिया ने 268/7 का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया.
एक ऐसी पिच जिस पर बैटिंग आसान नहीं थी, ये पार स्कोर से कम स्कोर नहीं था और भारत को वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ 125 रनों की जीत मिली.
लेकिन मैच के बाद सोशल मीडिया और पारंपारिक मीडिया पर भी ये चर्चा होने लगी की धोनी की पारी बेहद धीमी थी और उन्हें तेज़ खेलना चाहिए था.
क्या ये धीमी पारी थी?
एक आंकड़ा देखते हैं जिससे हम अंदाज़ा लगा सकेंगे की ये पारी कितनी धीमी या तेज़ थी.
धोनी ने 91 की स्ट्राइक रेट से 56 रन बनाए. ये स्ट्राइक रेट सिर्फ़ पंड्या के 121 के स्ट्राइक रेट से कम थी. विराट कोहली ने 87 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. धोनी को हटाकर पूरी भारतीय टीम का स्ट्राइक रेट था 87.
धोनी ने आखिरी ओवर में दो छक्के लगाकर स्कोर को 268 तक पहुंचाया.
कोहली ने भी मैच के बाद कहा कि वो सोच रहे थे कि शायद 250 के आसपास का स्कोर होगा लेकिन जिस तरह धोनी ने स्ट्राइक अपने पास रखकर लास्ट ओवर में छक्के लगाए उससे टीम का स्कोर 270 के करीब आ पाया.
कोहली ने की धोनी की तारीफ़
विराट कोहली ने भी मैच के बाद धोनी की जमकर तारीफ़ की और उनकी आलोचना करने वालों को गलत ठहराया. कोहली मानते हैं कि धोनी 10 में से 8 बार अपनी बैटिंग से मैच फिनिश करते हैं जो एक ज़बरदस्त रिकॉर्ड है.
कोहली ने कहा कि जब टीम को एक्स्ट्रा 15-20 रनों की ज़रूरत होती है तो धोनी लोवर ऑर्डर के साथ भी बखूबी ऐसा कर दिखाते हैं. कोहली ने कहा कि धोनी एक लीजेंड हैं और पिच पर कब और कैसे बैटिंग करनी है वो खूब जानते हैं.
समय की मांग
इस विश्व कप में अगर भारतीय टीम में कोई कमज़ोरी है तो वो है मिडिल ऑर्डर की बैटिंग. नंबर चार पर कौन खेले इससे तो टीम इंडिया कम से कम चार साल से जूझ रही है और जवाब अबतक नहीं मिला है.
फिलहाल विजय शंकर इस अत्यंत महत्वपूर्ण नंबर पर खेल रहे हैं. शंकर टीम के सबसे कम अनुभवी खिलाड़ी हैं जो अहम बैटिंग रोल में हैं. वहीं केदार जाधव चोट के बाद वापसी कर रहे हैं और अगर उनकी बॉलिंग हटा जी जाए तो वो हर बार इस भारतीय टीम में शायद न खेल पाएं.
पारी की ज़रूरत के हिसाब से नंबर चार से नंबर 7 के बीच कहीं पर हार्दिक पंड्या को मौका मिलता है जो ताबड़तोड़ बैटिंग कर सकते हैं लेकिन टीम में सिर्फ़ एक बल्लेबाज़ की हैसियत से नहीं बल्कि एक ऑलराउंडर की रोल में हैं.
ये एक ऐसा मिडिल ऑर्डर है जिसमें काफी दमख़म तो है लेकिन अभी यहां खेल रहे सभी खिलाड़ियों ने खुद को पूरी तरह साबित नहीं किया है.
ऐसे कम-अनुभव वाले मिडिल ऑर्डर में एमएस धोनी का किरदार कई गुना बढ़ जाता है. जब विराट कोहली आउट होते हैं तो जिस बल्लेबाज़ पर सबकी नज़र जम जाती है वो है महेंद्र सिंह धोनी.
वक्त की नज़ाकत के लिहाज़ से अपनी पारी को किस तरह ढालना है ये शायद ही कोई धोनी से बेहतर जानता हो. धोनी लंबे समय तक क्रीज़ पर रहें और टीम को जीत की तरफ लेकर जाएं – यही उनसे उम्मीद हैं. अगर धोनी ने पिछली दो पारियों में थोड़ा वक्त लिया है तो वो भी टीम के लिए ही.
टीम में धोनी का रोल
लेकिन ये सिर्फ़ बैटिंग ही नहीं है जिसकी वजह से टीम में धोनी की इतनी ज़रूरत है. कितनी बार होता है जब कोई कप्तान बांउड्री लाइन पर फील्डिंग करता है? भारतीय टीम में लगभग हर मैच में क्योंकि कप्तान कोहली को मालूम है कि विकेट के पीछे से धोनी लगातार गेंदबाज़ों से बात करते रहते हैं और फील्ड चेंज भी ज़रूरत पड़ने पर करते हैं.
टीम के स्पिनर्स युज़वेंद्र चहल और कुलदीप यादव की सफलता में भी धोनी का सबसे बड़ा हाथ है. गेम को रीड करने में और बल्लेबाज़ों को पढ़ने में धोनी की कोई सानी नहीं है. वो समझ जाते हैं कि बल्लेबाज़ क्या करना चाह रहा है और उसी हिसाब से गेंदबाज़ों को बॉल डालने की सलाह देते हैं जिसका सीधा फायदा उन्हें मिलता है.