पटना : जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि एनआरसी, अनुच्छेद 370, तलाक जैसे ध्यान भटकाने वाले मुद्दे से कभी देश और प्रदेश का भला नहीं हो सकता है. बिहार ने हमेशा सौहार्द की राजनीति को दिशा दी है. अब एक बार फिर से उन्माद और नफरत की राजनीति को खत्म करने में बिहार और बिहार के युवाओं की अहम भूमिका होगी. इसके लिए युवा परिषद के सदस्यों ने सिर पर कफन बांध ली है कि वे अब बेटियों और युवाओं पर अत्याचार नहीं सहेंगे. नफरत एवं उन्माद की राजनीति के खिलाफ हमारी पार्टी जनहित के मुद्दों और देश की तरक्की के लिए राजनीति करेंगे.
उक्त बातें जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने आज जन अधिकार युवा परिषद और युवा शक्ति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर ‘रोजगार नहीं, तो सरकार नहीं’ एकदिवसीय धरने में शामिल होकर कही. उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. खासकर कमजोर, दलित और पिछड़ी जातियों की बेटियों पर लगातार अत्याचार एवं दुष्कर्म के मामले बढ़े हैं. लेकिन, फिर भी न्याय के साथ विकास की बात करनीवाली डबल इंजन की सरकार मौन है. जबकि, एक सर्वे में समावेशी विकास के मामले में भी बिहार का स्थान देशभर में 19 वें स्थान पर है.
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की एक लड़की का बेतिया में बलात्कार के मामले में बिना नाम लिये पूर्व सांसद ने बिहार बीजेपी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष पर हमला बोला. उन्होंने कि बेतिया के स्थानीय सांसद को बेटी के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की कोई चिंता नहीं थी, तभी तो पटना में उन्हें नाच-गाने में शामिल होने का मौका मिला, लेकिन वे पीड़ित बेटी को देखने नहीं गये. जेएपी सुप्रीमो ने पूछा कि आखिर क्या वजह है कि कमजोरों और दलितों की बेटियों की अस्मत जब लूटी जाती है, तो यह मुद्दा नहीं बनता और इस पर सियासत और राजनीति का रंग नहीं चढ़ता है, और ना ही सिविल सोसाइटी इस पर संज्ञान लेती है. जब बलात्कार जैसी जघन्य अपराध पर लोग मुंह देख कर आवाज उठायेंगे, तो उस समाज का नाश होना तय है. उन्होंने कहा कि जब चिन्मयानंद और सेंगर जैसे लोगों को मोहन भागवत, नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जैसे जिम्मेवार पदों पर बैठे लोगों का साथ होगा, तो कैसे बचेगी बेटी और कैसे पढ़ेगी बेटी.
पप्पू यादव ने केंद्र की मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था और प्रदेश की नीतीश सरकार को रोजगार के सवाल पर घेरा. उन्होंने कहा कि आखिर क्या वजह है कि भारत की अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया और पाकिस्तान से भी नीचे जा रही है. आज तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि भारत का पैसा बांग्लादेश के टका से भी नीचे जा रहा है. हर सेक्टर में मंदी का असर है. मोदी सरकार ने पहले तो एक करोड़ नौकरी हर साल देने की बात कर छह करोड़ से अधिक लोगों को बेरोजगार किया और अब दूसरे कार्यकाल लोगों के लिए पांच रुपये का बिस्किट खरीदना भी मुश्किल कर दिया है. लेकिन, ये देश का दुर्भाग्य है कि बर्बाद होती अर्थव्यवस्था नेताओं के लिए मुद्दा नहीं है.
पूर्व सांसद ने कहा कि नीतीश कुमार काम की बात करते हैं, जब उन्होंने काम किया, तो बिहार उनके 15 सालों में हर चीज में अंतिम पायदान पर क्यों है. दारोगा बहाली में बेईमानी, विधानसभा बहाली में बेईमानी, बेटियों को नौकरी देने में बेईमानी, तकनीकी क्षेत्र में बेईमानी, शिक्षकों के नियोजन में बेईमानी और उनकी मांगों की अनदेखी जैसे कई मुद्दे हैं, जिसमें बिहार लगातार फिसड्डी साबित हो रहा है. इसलिए हम मांग करते हैं कि सरकार बिहार में 85 प्रतिशत रोजगार में प्रदेश के युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करे. साथ ही कुकुरमुत्ते की तरह उग आये प्राइवेट कॉलेज और कोचिंग संस्थानों के लूट पर रोक लगाये. सरकार को एजुकेशन के साथ रोजगार की गारंटी भी लेनी होगी.