अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को 2002 नरोडा पाटिया दंगा मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। विशेष एसआइटी कोर्ट ने मामले में 2012 में गुजरात की पूर्व मंत्री डॉ. मायाबेन कोडनानी को 28 साल की जेल व विहिप नेता बाबू बजरंगी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
इसी फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। गोधरा कांड के बाद 28 फरवरी, 2002 को भड़के दंगों में 97 लोग मारे गए थे। जस्टिस हर्ष देवानी और जस्टिस एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने प्रतिवादी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। पीठ ने विशेष जांच दल (एसआइटी) की ओर से दायर जनहित याचिका पर भी सुनवाई की।
याचिका में 30 अगस्त, 2012 को एसआइटी कोर्ट द्वारा मामले में 29 आरोपियों को बरी करने को चुनौती दी गई है। भाजपा की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व मंत्री माया कोडनानी के वकील हार्दिक दवे ने बताया कि हाई कोर्ट ने उनकी उस मांग पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व सात अन्य को अतिरिक्त गवाह के तौर पर समन भेजने की मांग की गई है। इन गवाहों में विधायक अमरीश पटेल भी शामिल हैं। पीठ ने भौगोलिक स्थिति को समझने के लिए उस स्थान का भी दौरा किया, जहां 97 लोग मारे गए थे। मृतकों में अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय से थे।