निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दोषियों को मिली मौत की सजा के खिलाफ दो क्यूरेटिव पेटिशन पर सुनवाई करते हुुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।यह सुनवाई 2012 गैंगरेप और हत्या के दोषी विनय और मुकश की याचिका पर जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने की। इस बेंच में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे।
गौरतलब है कि पिछले मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने मुकेश (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया और कहा कि उन्हें 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी। दोषी मुकेश और विनय की क्यूरेटिव याचिका पर 14 जनवरी को दोपहर एक बजकर 45 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट में इन-चैम्बर सुनवाई।
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim: They (convicts) have filed a petition (curative plea) before the Supreme Court just to stall the process. I'm very hopeful that their petition will be rejected today. They'll be hanged on 22nd January & Nirbhaya will get justice. pic.twitter.com/b0Wwgutpyx
— ANI (@ANI) January 14, 2020
आज की सुनवाई पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा है कि यह बस मामले को लटकाने की कोशिश है। मुझे पूरी उम्मीद है कि उनकी याचिका खारिज कर दी जाएगी। निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी और मेरी बेटी को नौकरी मिलेगी।
निर्भया की मां ने पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दायर कर दोषियों के डेथ वारंट की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने निर्भया की मां के हक में फैसला सुनाया और 22 जनवरी फांसी की तारीख के तौर पर मुकर्रर कर दी।
गौरतलब है कि दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने एक चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए। इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।
इस मामले के चार दोषियों विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को मृत्युदंड सुनाया गया। एक अन्य दोषी राम सिंह ने 2015 में तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी और नाबालिग दोषी को सुधार गृह में तीन साल की सजा काटने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।
क्यूरेटिव पिटिशन(क्यूरेटिव याचिका) तब दायर किया जाता है जब किसी मामले के दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है। ऐसे में क्यूरेटिव पिटिशन ही उस दोषी के पास मौजूद अंतिम मौका होता है, जिसके जरिए वह अपने लिए पहले से तय की गई सजा में नरमी की गुहार लगा सकता है। खास बात है कि क्यूरेटिव पिटिशन किसी भी मामले में अभियोग की अंतिम कड़ी होता है। क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई होने के बाद दोषी के लिए कानून के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।