बिहार में 94000 प्राथमिक शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया के नियमों में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शिक्षक बहाली पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 4 सितबंर तय की।
न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने नीरज कुमार सहित 71 सीटीईटी पास अभ्यर्थियों की रिट याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। आवेदकों की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार तथा रीतिका रानी ने कोर्ट को बताया कि शिक्षा विभाग ने प्राथमिक शिक्षक की बहाली के लिए 5 जुलाई, 2019 को एक अधिसूचना जारी की। इसके आलोक में विभाग ने 8 जून को शिक्षक बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया।
विज्ञापन के अनुसार एनआईओएस द्वारा संचालित सेवाकालीन 18 माह के डीईएलईडी एवं टीईटी तथा सीटीईटी पास अभ्यर्थी 15 जून से 14 जुलाई तक आवेदन दे सकते हैं। विज्ञापन में ही मेधा सूची की तैयारी सहित उसके अनुमोदन, सूची प्रकाशन, आपत्ति, आपत्ति निराकरण सभी के लिए समय सीमा तय की गई है। इसी बीच विभाग ने 15 जून को एक स्मृतिपत्र जारी कर सीटीईटी पास अभ्यर्थियों का आवेदन नहीं लेने का निर्देश जारी किया।
आवेदकों के वकील का कहना था कि एक बार विज्ञापन प्रकाशित कर देने बाद विज्ञापन की शर्तों में फेरबदल नहीं किया जा सकता, लेकिन विभाग ने ऐसा कर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि 2012 में टीईटी पास छात्रों की मान्यता अवधि को बढ़ाकर 14 मई, 2021 कर दी गयी है। 2019 में पास सीटीईटी के अभ्यर्थियों का आवेदन नहीं लेना अपने आप में गैरकानूनी है। पूरे राज्य में लगभग 94 हजार शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया चल रही है। फिलहाल कोर्ट ने आवेदकों की दलील मंजूर करते हुए बहाली प्रक्रिया पर रोक लगा दी। साथ ही मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 4 सितंबर तय की।