ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव, इमारत शरीया बिहार-झारखंड:बिहार-ओड़ीसा के अमीर और खानाकाह रहमानिया मुंगेर के सज्जादानशीं मौलाना वली रहमानी का आज करीब 2 बजकर 50 मिनट बजे इंतकाल हो गया। यह जानकारी बोर्ड के कार्यालय सचिव मौलाना वकारउददीन ने दी है। गुरुवार को उनकी तबीयत बिगड़ने पर पटना के पारस हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। वो कोराना पॉजिटिव थे।
रहमानी 30 की शुरुआत भी की
मरहूम मौलाना की पहचान समूची दुनिया में बड़े इस्लामी विद्वान के बतौर रही। उनका जन्म 5 जून 1943 को मुंगेर, बिहार में हुआ था। वो बिहार विधान परिषद के 1974 से 1996 के बीच सदस्य रहे। परिषद के उपसभापति भी बनाए गए थे। करीब 25 साल पहले उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को यूपीएसससी कोचिंग के लिए रहमानी 30 नाम का आगाज किया था।
दादा थे नदवतुल उल्मा के संस्थापकों में से एक
शाह इमरान हसन ने रहमानी की बायोग्राफी हयात-ए-वली लिखी है। मौलाना रहमानी के पिता सैयद मिनतउल्लामह रहमानी बहुत बड़े आलिम-फाजिल थे। खानकाह रहमानिया के सज्जादानशीं थे। उनका सूफी सिलसिला फजले रहमान गंज मुरादाबादी से जुड़ता है। 1991 में उनके निधन के बाद मौलाना रहमानी की मां ने पद संभाला। जबकि दादा मौलाना मोहम्मद अली मुंगेरी नदवतुल उल्मा के संस्थापकों में से एक थे।
मार्च के दूसरे सप्ताह रांची में थे
मौलाना वली रहमानी तीन दिन के दौरे पर मार्च के दूसरे सप्ताह झारखंड आए थे। 15 मार्च को रांची के पास इमारत के एक स्कूल की संगे बुनियाद रखते हुए उन्होंने कहा थाा ,कुरआन के लिए पहला शब्द: जो आया, वो है इक़रा। जिसके मायने ही हैं, पढ़। यही वजह है कि रसूलल्लाह ने तालीम के बिना आगे बढ़ने से मना फरमाया था। आपका कहना है कि तालीम जैसी नेमत जहाँ से मिले, ग्रहण कर लेनी चाहिए। यह इंसान की बुनियादी जरूरत है। शिक्षा से ही समाज और देश की प्रगति हो सकती है। शिक्षा का उद्देश्य ही है, मानव बनाना, अच्छा नागरिक बनाना।