प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के साथ टिक नहीं पाएंगे. नीतीश जी को मैं लंबे अरसे से जानता हूँ अपने इर्द-गिर्द किसी भी स्वाभिमानी और स्वतंत्र विचार रखने वाले व्यक्ति को वे सहन नहीं कर सकते हैं.
प्रशांत को मैंने सुना और पढ़ा है. हर मसले पर उनकी अपनी सुचिंतित राय है. उनकी हर राय नीतीश जी की राय से मेल खाए यह ज़रूरी नहीं है. लेकिन प्रशांत अपनी बात बहुत बेबाक़ी से रखते हैं. झंझट यहीं है. नीतीश जी से अलग राय रखकर आप उनके साथ नहीं रह सकते हैं. अगर रखते हैं तो उसे प्रकट नहीं कर सकते हैं.
प्रशांत अगर नीतीश जी से अलग हटते हैं तो इससे उनको कोई हानि पहुँचने वाली नहीं है. प्रशांत का नाम और शोहरत दूर तक फैल चुका है. इसलिए कहीं भी उनका स्वागत होगा.
मेरा उनसे एक ही अनुरोध होगा. वह भी इसलिए कि कर्म के स्तर पर वे चुनाव के साथ बहुत नज़दीक से जुड़े रहे हैं. इसलिए देश में चुनावों के ज़रिए ही सरकारें बनें इसके प्रति उनकी निष्ठा ज़रूर होगी. आज जिन लोगों के वे साथ हैं उनका लोकतंत्र में यक़ीन नहीं है. उनका बस चले तो आज वे लोकतंत्र को देश से मिटा दें. उन्माद का माहौल पैदा कर रोज़ी, रोटी, रोज़गार, किसानी आदि की समस्याओं से लोगों का ध्यान भटका कर ये सत्ता हासिल करना चाहते हैं. देशभक्ति के नाम पर उन्माद का माहौल बनाया जा रहा है. किसी भी तरह के सवाल को देश द्रोह बताया जा रहा है. इसलिए प्रशांत जी से मेरा अनुरोध होगा कि इनको छोड़िए. इनसे लड़ने वाले किसी भी पार्टी से जुड़िए और लोकतंत्र को बचाने के नेक और पवित्र अभियान में अपना कंधा लगाइए.
शिवानन्द
9 फ़रवरी 19