निर्भया गैंगरेप और हत्या कांड में फांसी की सजा पा चुके चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जानी है। मौत की सजा से बचने के लिए दोषियों के द्वारा हर हथकंडा अपनाया जा रहा है। दोषियों के वकील एपी सिंह मंगलवार को फांसी की सजा पर रोक की मांग के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचे।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने इसे न्याय का गर्भपात बताते हुए कहा कि हमने मानवाधिकार आयोग से 20 मार्च को निर्धारित फांसी की सजा पर रोक की मांग की है। इसके लिए चार में से एक दोषी राम सिंह के 70 वर्षीय माता और 10 वर्षीय बेटे का हवाला दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की भी कोशिश की थी।
Nirbhaya convicts' lawyer approaches NHRC seeking stay on execution
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— ANI Digital (@ani_digital) March 17, 2020
एपी सिंह ने कहा, ‘किताब ब्लैक वारंट के मुताबिक राम सिंह की लिंचिंग की कोशिश की गई, इसमें जेल के अधिकारी भी शामिल थे। इसकी जांच रिपोर्ट भी मनमाने ढंग से तैयार की गई थी। पीड़ित के परिवार को अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है। मुकेश घटना का इलकौलात गवाह है। अगर उसे जल्दबाजी में फांसी की सजा दी जाती है तो यह न्याय का गर्भपात और मानवाधिकार का उल्लंघन होगा।’
वहीं, चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की मौत की सजा को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका पर दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा जल्द ही इस पर फैसला सुनाएंगे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर इस याचिका में दावा किया गया कि मुकेश को राजस्थान से गिरफ्तार किया गया था और उसे 17 दिसंबर, 2012 को दिल्ली लाया गया था। साथ ही इसमें कहा गया है कि मुकेश 16 दिसंबर को शहर में मौजूद नहीं था जब यह अपराध हुआ था।