बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड में अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा, फैसला आज

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बहुचर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड में अंतिम बहस पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. बीते शुक्रवार को अपर जिला जज पंचम विनोद कुमार की अदालत में अंतिम बहस पूरी हुई, जिसके बाद अदालत ने कहा कि मामले में 31 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा. इस दौरान हत्याकांड का आरोपी अनुपमा गुलाटी का पति राजेश गुलाटी भी अदालत में मौजूद रहेगा.

अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता जीपी रतूड़ी ने इस केस की पैरवी की हैं, जबकि बचाव पक्ष की ओर से दिल्ली से आए अधिवक्ता उत्कर्ष हैं.

अनुपमा गुलाटी हत्याकांड दिसंबर 2010 में तब सामने आया था, जब अनुपमा का एक रिश्तेदार उसके कैंट कोतवाली क्षेत्र के प्रकाशनगर स्थित आवास पर उससे मिलने पहुंचा था.

मूल रूप से दिल्ली निवासी राजेश गुलाटी यहां पत्नी अनुपमा व दो बच्चों सिद्धार्थ और सोनाक्षी के साथ रहता था. सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी ने रिश्तेदार को बताया कि अनुपमा डेढ़ महीने से अपने मायके गई हुई है. संदेह होने पर रिश्तेदार ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस गुलाटी के घर पहुंची तो डीप फ्रीजर से अनुपमा गुलाटी के शव के टुकड़े बरामद हुए. आरोप है कि राजेश गुलाटी ने पत्नी अनुपमा की हत्या की और उसके शव के टुकड़े कर उसे दो माह तक डीप फ्रीजर में छुपाए रखा था.

आरोप है कि उसने 17 अक्टूबर 2010 को अनुपमा की गला दबाकर हत्या की थी और फिर स्टोन कटर व आरी से शव के टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रख दिए, जिन्हें बाद में वह ठिकाने लगाता रहा. आरोपी ने कुछ टुकड़े मसूरी रोड के जंगल में फेंके थे, जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया था. जंगल में मिले शव के टुकड़ों का डीप फ्रीजर में मिले टुकड़ों व अनुपमा के माता-पिता के डीएनए से मिलान कराया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. फॉरेंसिक जांच में पुलिस ने आरी, डीप फ्रीजर और स्टोन कटर पर से राजेश गुलाटी के फिंगर प्रिंट भी हासिल कर लिए. हत्याकांड में पुलिस ने 10 मार्च 2011 को राजेश गुलाटी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. राजेश गुलाटी तभी से जेल में है.

अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 42 गवाह पेश किए गए, जिसमें राजेश की महिला मित्र और उसके घर पर काम करने वाली दो नौकरानी भी शामिल रहीं. डीजीसी ने अदालत को बताया कि 17 अक्टूबर 2010 को अनुपमा गुलाटी पति राजेश गुलाटी के साथ घर पर मौजूद थी. अनुपमा का शव भी राजेश की मौजूदगी में ही बरामद किया गया. ऐसे में वारदात को लेकर सारे साक्ष्य राजेश के खिलाफ हैं और उसकी मंशा को जाहिर करते है.