बालश्रम की कब टूटेगी ज़ंजीर

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मजबूरी है जो करते हैं काम वरना शौक इस उम्र में ऐसा किसने पाला है।
ये तो प्रचलित है की भूख के लिए काम करने वाले बच्चे को बालमजदूर कहते हैं और शौक के लिए काम करने वाले को बाल कलाकार। तो क्या बालश्रम सिर्फ सड़क,दूकान और कारखाने में काम करने वाले बच्चों को ही कहा जयेगा या क्या उन सिनेमा के परदे और प्रचार पुस्तिका में काम करने वाले बच्चों को भी जिसके अभिभावक अपनी कमाई के लिए पर्दे पर दिन रात काम करवाते हैं। बच्चे को पर दो उड़ने के लिए खुद के उड़ने के लिए बच्चे को पंख मत बनाओ ।

दिन प्रतिदिन बाल श्रम की संख्या बढती जा रही है, जबकि कई संगठन ऐसे बने हैं जो इन बच्चों को आजाद कराने के लिए काम रहे हैं और बालश्रम को शिक्षा मुहैय्या कराने के लिए कई संगठन सिर्फ अपने व्यापर के लिए खुल जाते हैं , चाहे वो संगठन सरकारी हो या गैर सरकारी हो क्यूंकि बच्चे आज भी सड़कों पर हाथ में बोरा लिए कूड़ा करकट साफ करते नज़र आते हैं, चाय की दुकान में , कारखानों में न जाने कितने बच्चे काम करते हैं जिनकी संख्या आपको हैरान कर देगी।
जनगणना 2011 के मुताबिक भारत मे 43.5 लाख हैं जबकि गैर सरकारी संगठन का आंकड़ा जनगणना के आंकड़ो से कोसों दूर आंकड़ा बताता है कि भारत मे 5 करोड़ बाल मजदूर ज़ंजीर से जकड़े हुए हैं।
इस देश का हर वो नागरिक ज़िम्मेदार है जो 14 वर्ष से निचे के बच्चों को काम करता देख कर अनदेखा कर देता है। आप समाज को खुली आँखों से देखिये आपको हर प्रश्न का जवाब मिलेगा, प्रशासन जिसे रोकना होता है 14 वर्ष से निचे के बच्चों को काम करने से वो खुद अपने कार्यालय में ऐसे बच्चों से काम करवाते हैं, और गैर सरकारी संगठन के भी हर वो सदस्य ज़िम्मेदार हैं जो चाय की दुकान पर छोटू से चाय मंगवाकर पीते हैं। गैर ज़िम्मेदार माता पिता भी ज़िम्मेदार हैं जो खुद के पेट के लिए बच्चों की ज़िन्दगी खराब करते हैं। फिर ये मुद्दा उठता क्यों नही समाज में जिस तरह से अब लोग छोटी से छोटी बात पर सरकार से सवाल करते हैं तो फिर ये अनदेखा क्यूँ हो जाता है, ये प्रश्न क्यों नही झिंझोरता। जबतक बच्चे काम करते रहेंगे तबतक देश का हर नागरिक बालश्रम का ज़िम्मेदार होगा।

बाल श्रम एक ऐसा विषय है, जिस पर केन्द्रीय व राज्य सरकारें, दोनों कानून बना सकती हैं। और दोनों स्तर पर कई कानून बने भी हैं –
बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986- यह कानून जिसमे 14 वर्ष नीचे के बच्चे को कारख़ाने और दुकान व किसी निजी काम को कराने पर रोक है एवं कार्य कराने वाले को जुर्माना भी है।
फैक्टरी कानून 1948 – 14 वर्ष से कम उम्र के काम करने प्रतिबंध है। 15 से 18 वर्ष तक के बच्चे किसी कारखाने में तभी काम कर सकते हैं जब वो किसी चिकित्सक से प्रमाणित न हो। हर दिन साढ़े चार घंटे तक काम की सीमा तय की गई है।
हाल ही में 19 जुलाई 2016 को राज्यसभा में एक बिल पास हुआ है “बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) संशोधन अधिनियम, 2016

पर ये बालश्रम पर प्रतिबंध के लिए नियम कानून तो बनते ही जा रहे हैं फिर भी बालश्रम की संख्या में कोई रोक नही। और ये नियम हमारे लिए सिर्फ सामान्य ज्ञान का एक पन्ना बन गया है जिसे लोग पढ़कर एक जानकारी रखना चाहते हैं पर इसपर कोई कार्यवाई करने को न आज का समाज तैयार है न सरकार और न ही वो माता पिता जो बच्चों के सपनों का गला घोंट रहे हैं।

लेखक : इमाम सालेहीन हारिष