बिहार के 30 लाख परिवारों को अनाज देने की राज्य सरकार की मांग पर केन्द्र ने अब तक सहमति नहीं दी, लेकिन शनिवार को दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री की घोषणा से 14 लाख लाभुकों को अनाज मिलने का रास्ता साफ हो गया।
केन्द्रीय खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि इन 14 लाख छूटे लाभुकों की सूची आ गई है। एनआईसी इसकी जांच कर रहा है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि कोई नाम दो बार तो नहीं है या फिर पहले की सूची से कोई नाम नई सूची में भी तो नहीं आ गया है। इनकी जांच के बाद इस सूची में शामिल लोगों के लिए अनाज आवंटित कर दिया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री ने पहले भी यह बात उठाई थी राज्य के 14 लाख लाभुकों की सूची नहीं भेजने के कारण केन्द्र अनाज नहीं दे पा रहा है। लेकिन उसी समय राज्य के खाद्य व उपभोक्ता मंत्री मदन सहनी ने जानकारी दी थी कि सूची पहले ही जहां दी जानी चाहिए, उसे साइट पर अपलोड कर दी गई है। शनिवार को केन्द्री मंत्री ने भी स्वीकार किया कि बिहार से सूची आई है उसका मिलान होने के बाद अनाज दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा 30 लाख परिवारों के लिए अनाज की मांग पर कुछ नई बात नहीं बोला। वह पहले ही इनकार कर चुके हैं कि नई जनगणना के बाद ही नये लोगों को अनाज दिया जा सकता है। खाद्य सुरक्षा कानून के प्रावधान के अनुसार सूची में बीच में नये लाभुकों को नहीं जोड़ा जा सकता है।
उधर, राज्य के मंत्री श्री सहनी ने कहा था कि नये सर्वे के अनुसार 30 लाख नये परिवार को राशन कार्ड दिया जाएगा। उन परिवारों में 1.5 करोड लाभुक होंगे। इस हिसाब से केन्द्र सरकार को तीस हजार टन गेहूं और 45 हजार टन चावल यानी कुल 75 हजार टन हर माह अनाज केन्द्र को अतिरिक्त देना चाहिए। अभी केन्द्र से केन्द्र से 4.57 लाख टन अनाज मिलता है। नये राशन कार्ड जारी होने के बाद राज्य को 5.32 लाख टन अनाज की जरूरत होगी। उन्होंने इसी हिसाब से अवंटन देने की मांग की थी।