बुक नहीं कराया गया सामान चोरी होने पर रेलवे को नहीं ठहराया जा सकता जिम्मेदार

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नई दिल्ली: रेल में यात्रा करते समय अकसर देखा गया है कि चोर उचक्के लोगों के कीमती सामानों पर हाथ साफ कर देते हैं. अब एक उपभोक्ता कोर्ट के अादेश से इस मामले में रेलवे पर अंगुली भी नहीं उठाई जा सकेगी. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने उस महिला को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है, जिसका सूटकेस ट्रेन से सफर के दौरान गुम हो गया था. आयोग ने कहा कि सामान बुक नहीं किए जाने और उसकी रसीद जारी नहीं होने की स्थिति में रेलवे जिम्मेदार नहीं है.

शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने निचले आयोग के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने रेलवे से ममता अग्रवाल नाम की महिला को मुआवजा देने को कहा था. महिला पश्चिम बंगाल की निवासी हैं. साल 2011 में लोकमान्य तिलक शालीमार एक्सप्रेस ट्रेन में सफर के दौरान उसका सूटकेस कथित तौर पर चोरी हो गया था. आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य आयोग के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने जिला मंच के एक फैसले को कायम रखते हुए उससे यात्री को 1. 30 लाख रूपया अदा करने का आदेश दिया था.

एनसीडीआरसी ने रेलवे की इस दलील पर सहमति जताई कि रेल अधिनियम 1989 की धारा 100 के मुताबिक यह किसी सामान के गुम होने, नष्ट होने, क्षतिग्रस्त हो जाने या किसी सामान के नहीं मिलने पर तब तक जिम्मेदार नहीं होगा ,जब तक कि रेलवे ने सामान बुक नहीं किया हो और रसीद जारी नहीं की हो.

गौरतलब है कि शिकायत के मुताबिक सफर के दौरान ममता के सूटकेस में सोने की तीन चेन , हीरे की दो अंगूठी और एक सााधारण अंगूठी सहित तीन लाख रुपये की चीजें थी. इसके अलावा उसमें 15,000 रूपये नकद और बच्चों के कपड़े भी थे.