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बेगूसराय जिले में लॉकडाउन पालन करवाने के नाम पर कई मामलों में पुलिस का अमानवीय चेहरा भी सामने आ रहा है। सख्ती बरतने के लिए पुलिसकर्मी मानवीय पक्ष को भी दरकिनार कर देते हैं। शनिवार को नगर थाना के एक एएसआई ने इलाज करवाने आई गर्भवती महिला व उसके साथ आई महिलाओं को ई-रिक्शा से उतार ई-रिक्शा जब्त कर लिया।
विडंबना तो यह कि पीड़ित महिला उस पुलिसकर्मी से गुहार लगाती रहीं लेकिन उन्होंने महिला की एक नहीं सुनी और ई-रिक्शा जब्त कर थाने भेज दिया। पैदल चलने में असमर्थ पीड़ित महिला दर्द से परेशान होने लगी। लड़ुआरा गांव की रहने वाली उस महिला ने बताया कि वह अपने गांव से ई-रिक्शा रिजर्व कर इलाज कराने सदर अस्पताल आई थीं। इलाज के बाद घर जा रही थी इसी दौरान सदर अस्पताल चौक के पास पुलिस ने उन सबको उतार कर ई-रिक्शा जब्त कर लिया। पुलिसकर्मियों ने इस दौरान कई मरीजों और जरूरतमंद लोगों को उतारकर ई-रिक्शा जब्त किया।
लोगों ने बताया कि गुहार लगाने के बाद भी पुलिस अधिकारी ने एक नहीं सुनी। पुलिसकर्मियों की उक्त करतूत से आहत गर्भवती महिला बेबस खड़ी रहीं। कोई उपाय नहीं देख वह अपने साथ आई महिलाओं की मदद से फरियाद करने नगर थाना पहुंची। पुलिस की इस कार्रवाई से स्थानीय लोगों में नाराजगी दिखी। महिला की परेशानी देख मीडियाकर्मी ने थानाध्यक्ष को घटना की जानकारी दी। थानाध्यक्ष अमरेन्द्र झा ने मोबाइल फोन पर थाने पर मौजूद अधिकारी को निर्देश दिया कि अविलंब पीड़ित महिला को सकुशल उसके घर भेजवाया जाए। इसके बाद जब्त ई-रिक्शा को छोड़ा गया और तक उक्त महिला अपने घर जा सकी। लोगों ने कहा कि पुलिसकर्मियों को कोई भी एक्शन लेने से पहले कम से कम एक बार लोगों की बात जरूर सुननी चाहिए। शिक्षक रणधीर कुमार ने बताया कि शुक्रवार को योगदान करने जा रहे शिक्षक रूपेश कुमार को भी पुलिस ने साहेबपुरकमाल में लॉकडाउन उल्लंघन के नाम पर घंटों बैठाए रखा। बाद में एक हजार रुपए जुर्माना वसूलने के बाद छोड़ा।
एसपी अवकाश कुमार ने बताया कि इलाज कराने या जरूरी काम से आने-जाने वाले लोगों को परेशानी नहीं हो, इसका ख्याल रखने का निर्देश सभी थानाध्यक्षों को दिया गया है। पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान इसका ध्यान अवश्य रखें।