मिथिला विरोधी है नीतीश कुमार की सोच : MSU

429

आज दिनाक : 8 सितम्बर 2020 को मिथिला स्टूडेंट यूनियन के द्वारा बिस्फी प्रखंड के चहुटा, सिंघिया पश्चिमी, सिंघिया पूर्वी, रघौली,के सदुल्लहपुर, बलहा, सिंघासो में बिहार सरकार के अकर्मण्य , निक्कमा , मिथिला के प्रति अविकसित सोच , विजनलेस मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया ।

पुतला दहन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार प्रदेश आईटी सेल गोपाल ठाकुर ने कहा कि : पिछले 3 पंचवर्षीय यानि 15 सालों से नीतीश कुमार व उनके सहयोगी की सरकार में मिथिला ने मिथिला के गाँव से सम्पन्नता व खुशहाली छीनने का काम किया है । आर्थिक व सांस्कृतिक रूप से मिथिला को कमजोर करने का काम किया है । मिथिला क्षेत्र अशिक्षा के रूप में सौगात देने का काम किया है । यहाँ के छात्रों के भविष्य को अंधकार के डालने का काम वर्तमान सरकार ने किया है । इस क्षेत्र को उद्योग विहीन करके यहाँ के अधिकांश लोगों को सस्ता मजदूर बना यहां के आंगन से खुशियां छिनने का काम किया है ।

जहां संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तमशिल अहमद ने वर्तमान सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी चौपट है कि लोग सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने से डरते है । वहाँ की व्यवस्था लूट-खसोट के भरोसे जीवित है । जहाँ आम जन सरोकार से कोई मतलब नही है ।

मिथिला में आज भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है जिस कारण भारी संख्या में लोग मिथिला से पलायन करते हैं। मिथिला में सबसे अधिक पलायन रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए होता है। रोज़गार इनमें सबसे ऊपर है। दिल्ली मुंबई, सूरत, ऐसे ही देश कई हिस्सों में बिहार/मिथिला से आकर बड़ी आबादी बस गई है। किसी तरह से उन्हें हर राज्य में रहने और काम करने के लिए जूझना पड़ता है। कभी मुंबई में मराठी अस्मिता के नाम पर पीटा जाता है, कभी सूरत में हिंदी भाषी होने कारण उन्हें मारकर भगाया जाता है। दिल्ली जैसे कई शहरों में तो बिहारी को एक गाली की तरह प्रयोग किया जाता रहा है। लोग पलायन क्यों करते हैं या उन्हें पलायन क्यों करना पड़ता है, वास्तव में यह चुनाव का मुद्दा होना चाहिए।

वहीं MSU प्रखंड अध्यक्ष – कृष्णामोहन कुमार
ने कहा…….. MSU मिथिला के छात्र व क्षेत्र के विकास हेतु संघर्ष कर रही है । मिथिला में व्याप्त अविकसित असुविधा कुव्यवस्था से मुक्ति हेतु मिथिला विकास बोर्ड जरूरी है एवं MDB के माध्यम से मिथिला के जन-जन तक खुशहाली पहुचेंगी । मिथिला विरोधी सरकार ने वर्षो से मिथिला के गाँवो की संपन्नता को छिनने का काम किया है । किसानों के स्टेट बोर्डिंग , बच्चों के शिक्षा का अधिकार , युवाओ के रोजगार हेतु उद्योग-धंधा को नष्ट करने का काम किया है । यह सरकार पूर्णतः शिक्षा नीति से विफल सरकार है , रोजगार सृजन हेतु सरकार का कोई कारगर कदम नही है । मिथिला विकास बोर्ड के माध्यम से यूनियन मिथिलावासियों की मांग को केंद्र व राज्य सरकार के समक्ष रख रही है ।

मिथिला क्षेत्र के किसानों की हालात तो इससे भी खराब है किसान खेती छोड़ पलायन करने पर मजबूर है । कृषि योग्य उपयोगी भूमि अच्छी गुणवत्ता से खाद्यान्न देने वाली खेत सरकार की मार झेल रही है और हम चुप है । स्टेट बोर्डिंग बन्द पड़ी है और हम सत्ता के भोग करने वाले निक्कमो के झूठे वादों से शोषित मिथिलावासी है ।

सन् 1990 के बाद से मिथिला में कोई भी नया उद्योग नहीं लगा। नए उद्योग की तो बात छोड़िए जो थे वो भी बड़ी तेज़ी से बंद हुए हैं। चाहे वो सकरी की चीनी मिल हो, दरभंगा की अशोक पेपर मिल या बेगूसराय के आसपास के कई उद्दोग। यही वजह है कि रोजगार की तलाश में मिथिला का नौजवान देश के विभिन्न राज्यों में जा रहा है। ऐसा नहीं है मिथिला का नौजवान मेहनती नहीं है या वो कुशल नहीं है। वो मेहनती भी है और कुशल भी, लेकिन उसके लिए मिथिला में मौके नहीं हैं ।
मिथिला के प्रचलित विश्वविद्यालय ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा को मिथिला के छात्र-छात्राओं के संग नए व्यापक बदलाव में यूनियन सहभागी बनी है । शैक्षणिक सत्र (स्नातक व स्नातकोत्तर) को संघर्ष के बदौलत बदलकर LNMU को बिहार सूबे का नम्बर – 1 विश्वविद्यालय बनाने का काम किया है।

इस पुतला दहन कार्यक्रम में ….राष्ट्रीय उपाध्यक्ष – तमशील अहमद, बिहार आईटी सेल प्रभारी – गोपाल ठाकुर, प्रखंड अध्यक्ष – कृष्णमोहन कुमार, विजय मिश्रा, फूलबाबू कुमार, राहुल, बबन कुमार, शंकर पासवान, वैधनाथ कुमार, अमित कुमार, रंजीत कुमार, बिहारी कुमार, हरी, विजय, मणिकांत सहित विभिन्न पंचायतों के तमाम सेनानी मौजूद थे।।