मुंबई: पुलिस और दूसरे सरकारी महकमों में पैसे देकर मलाईदार पोस्टिंग मिलने की चर्चा आम रहती है लेकिन पहली बार किसी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है वो भी सामान्य पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग नहीं बल्कि आईपीएस की पोस्टिंग के लिए लाखों रुपये की सौदेबाजी के आरोप में. गिरोह में एक पूर्व गृह राज्य मंत्री का पीए विद्यासागर हिरमुख भी है. जबकि सोलापुर के किशोर माली को गिरोह का सरगना बताया जा रहा है. मुंबई क्राइम ब्रांच ने किशोर माली, विद्यासागर हिरेमुख, रवींद्र सिंह यादव और विशाल ओम्बले को एयरपोर्ट के पास स्थित सहारा स्टार होटल से गिरफ्तार कर लिया है. आरोपियों के पास से 6 लाख 70 हजार रुपये भी बरामद हुए हैं.
डीसीपी वीरेंद्र मिश्रा के मुताबिक मामले में सोलापुर के डीसीपी नामदेव चव्हाण शिकायतकर्ता हैं. आरोपियों ने उन्हें मुंबई और आसपास पोस्टिंग दिलाने का लालच दिया था. पता हो कि डीसीपी नामदेव सोलापुर में कार्यरत हैं जबकि उनका घर मुंबई के पास नवी मुंबई में है. करीब महीने भर पहले किशोर ने सोलापुर में डीसीपी चव्हाण के सरकारी क्वार्टर में मुलाकात कर मुंबई के आसपास पोस्टिंग करवाने का लालच दिया था.
कमरा नंबर 2102
इस पूरे वाकये में होटल का कमरा नंबर 2102 अहम है. आठ दिन पहले जब पहली बार किशोर ने डीसीपी नामदेव चव्हाण को मुंबई में पोस्टिंग कराने वाले अपने रसूखदार दोस्त से मिलवाने के लिए बुलवाया था तब उनकी मीटिंग कमरा नंबर 2102 में हुई थी. दिल्ली में केंद्र सरकार में पहुंच रखने का दावा करने वाले उस शख्स ने तब अपना नाम शर्मा बताया था.
31 मई को दूसरी मीटिंग के लिए किशोर ने डीसीपी चव्हाण को फिर से सहारा स्टार होटल के कमरा नंबर 2102 में ही बुलाया था. लेकिन डीसीपी को घंटों लॉबी में इंतजार करवाना उन्हें महंगा पड़ा और परेशान डीसीपी को शक हो गया. तभी उन्हें होटल में क्राइम ब्रांच के एसीपी और सीनियर पीआई दिख गये और उन्होंने अपने मन की शंका उन्हें बता दी. पुलिस जब कमरा नंबर 2102 में पहुंची तो चारों आरोपी वहां मौजूद थे.
शर्मा की जब तलाशी ली गई तो उसके पास से मिले आधार कार्ड पर रवींद्र सिंह यादव लिखा मिला. सोलापुर में एक ठेकेदार के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाला किशोर राजनेताओं का करीबी बन कुछ साल में ही बड़ा आदमी बन गया. उसने अपने फेसबुक पेज पर पूर्व गृहमंत्री छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल के साथ कई फ़ोटो पोस्ट कर रखे हैं. छगन भुजबल वर्तमान में मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में हैं.
पुलिस अब ये पता करने में जुटी है कि इस गिरोह ने अब तक कितने सरकारी महकमों में ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल खेला है और गिरोह में और कौन-कौन शामिल है?