मेरे बाद चिराग ही होंगे लोजपा के सर्वेसर्वा : रामविलास पासवान

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राजगीर: बिहार के राजगीर में एक और पार्टी लोक जनशक्ति का सम्मेलन संपन्न हुआ. राजगीर बिहार में किसी दल ख़ासकर क्षेत्रीय दल के लिए ये सबसे पसंदीदा जगह है. इस सम्मेलन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि सबकी ज़ुबान पर ये सवाल रहा कि क्या रामविलास पासवान के पुत्र चिराग़ उनकी राजनीतिक विरासत को सहेज कर रख सकते हैं. इस सम्मेलन में पार्टी के छह में से तीन सांसद- रमा सिंह, वीना देवी और चौधरी महबूब अली कैसर नदारद दिखे. और जो तीन सांसद मौजूद थे उनके ना रहने का कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि उनमें एक ख़ुद रामविलास पासवान, दूसरे उनके बेटे और पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग़ पासवान और तीसरे रामचन्द्र पासवान हैं, जो परिवार के सदस्य हैं. रामचन्द्र, रामविलास के सबसे छोटे भाई हैं. लेकिन नदारद संसदों ने मौजूद नहीं रहने का कोई कारण तो नहीं बताया लेकिन माना जाता है कि ये लोग चिराग़ पासवान के व्यवहार से ख़ुश नहीं हैं.

हालांकि रामविलास पासवान का कहना है कि चिराग़ को ख़ुद को साबित करना होगा नहीं तो रामविलास पासवान के पुत्र होने के नाते राजनीति में बहुत दिनों तक चलना सम्भव नहीं. हालांकि पासवान ने चिराग़ की तारीफ़ करते हुए यह भी सफ़ाई देते हैं कि भाजपा के साथ 2014 में जाने का निर्णय उनका था जिसके कारण एक साथ छह सांसद चुने गए. लेकिन इस बात का किसी के पास जवाब नहीं कि विधानसभा चुनाव में मात्र दो विधायक ही क्यों जीते. रामविलास का दावा है कि जमुई जैसे नक्‍सल प्रभावित इलाक़े से चिराग़ सांसद चुने गए जो साबित करता है कि वो लोगों में लोकप्रिय हैं. लेकिन भाजपा के नेता मानते हैं कि चिराग़ अपने संसदीय क्षेत्र से अधिकांश समय नदारद रहते हैं. हाल में जमुई में जब साम्प्रदायिक तनाव हुआ तब भी लोगों की शिकायत थी कि चिराग़ कहां हैं किसी को पता नहीं.

फ़िलहाल राजगीर के सम्मेलन में रामविलास ने स्‍पष्‍ट किया कर दिया कि उनके बाद चिराग़ ही पार्टी के सर्वेसर्वा होंगे. चिराग़ को स्थापित करने के लिए रामविलास पासवान ने अभी से ये कहना शुरू कर दिया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में NDA के घटक दलों को नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड को ज़्यादा सीटें मिले उसके लिये त्याग करने के लिए अभी से तैयार रहना चाहिए. रामविलास को अब उम्‍मीद है कि नीतीश कुमार के साथ आने से सभी उम्‍मीदवारों की जीत की संभावना बढ़ गई है.

फ़िलहाल रामविलास हों या चिराग़, बिहार की राजनीति में इनकी मजबूरी होगी कि किसी ना किसी गठबन्धन के सहारे चुनावी मैदान में जाएं. हालांकि अपने मुख्‍य आधार पासवान वोटोरों के अलावा रामविलास किसी जाति या वर्ग से समीकरण नहीं बना पाए लेकिन केंद्र सरकार द्वारा मंडल कमिशन का लाभ उठा रही जातियों के वर्गीकरण की क़वायद का स्वागत किया है.