मोदी ने ली अफसरों की क्लास ताकि बेहतर हो कामकाज

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वर्ष 2019 के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं और मोदी सरकार अपनी योजनाओं तथा कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन की उम्मीद कर रही है। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों से अपनी कार्यशैली और सोच में बदलाव लाने की नसीहत दी। इन अधिकारियों में देश के 706 जिलों में से 599 के जिलाधिकारी भी शामिल थे।
मौका था सिविल सेवा दिवस का और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाठशाला में वरिष्ठï आईएएस अधिकारी मौजूद थे। मोदी ने देशभर के जिला स्तर के अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया। करीब एक घंटे से अधिक के भाषण में मोदी ने कई प्रेरक बातें की लेकिन अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल भी उठाए। उन्होंने अधिकारियों से तुरंत फैसले लेने को कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि नौकरशाही नियामक की भूमिका से बाहर आए और मददगार की भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि तेजी से फैसला करने के किसी भी नतीजे से उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह जनहित में ईमानदार फैसले करने वाले अधिकारियों के साथ खड़े रहेंगे।  उन्होंने कहा, ‘यदि ईमानदार मंशा से, सच्चाई से और लोगों के कल्याण के लिए कोई फैसला किया जाता है तो दुनिया में कोई भी आप पर सवाल नहीं उठा सकता। कुछ चीजें तात्कालिक तौर पर हो सकती हैं, लेकिन मैं आपके साथ हूं।’
प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी इस मायने में अहम है क्योंकि कई अधिकारी निर्णय लेने की प्रक्रिया में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को बाधा बताते रहे हैं। इससे परिणामस्वरूप नीतिगत पंगुता की स्थिति पैदा होती है। मोदी ने कहा कि अधिकारियों को फैसला लेते समय आंकड़ों के बजाय परिणाम पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा, ‘क्या आंकड़ों से कोई बदलाव आता है? अगर हम कैग को केंद्र में रखकर परिणाम की आशा करेंगे तो फिर देश में कोई बदलाव नहीं होगा।
इस तरह हम न तो कोई बदलाव देख सकते हैं और न ही देश में कोई बदलाव होगा।’ अधिकारियों को लगातार दूसरे दिन नसीहत सुनने को मिली। इससे पहले गुरुवार को इस आयोजन के पहले दिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अधिकारियों को क्षुद्र मन से नहीं बल्कि बड़ा दिल दिखाते हुए फैसला लेने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि अधिकारियों को समाधान का हिस्सा बनना चाहिए, समस्या का नहीं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने ऐसे समय नौकरशाही को सलाह दी है जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में बहुत अधिक छुट्टिïयों पर सवाल उठाए हैं। इससे यह आशंका भी उठी है कि मोदी सरकार फिर से सप्ताह में छह दिन कामकाज कराने की परंपरा शुरू कर सकती है।